देवडांड़ गांव में बरामद शव की शिनाख्त
संवाद सूत्र, धोरैया (बॉका): ताहिरपुर गौरा के देवडांड़ गांव के पास कुंआ से बरामद अज्ञात युवक के शव की
संवाद सूत्र, धोरैया (बॉका): ताहिरपुर गौरा के देवडांड़ गांव के पास कुंआ से बरामद अज्ञात युवक के शव की पहचान हो गई है। पहचान के बाद पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के बाद बाद परिजनों को सौंप दिया है। कुंआ में लाश को बकरी चराते बच्चों ने देखा था। इसके बाद ग्रामीणों ने इसकी सूचना पुलिस को दी थी। सरस्वती पूजा के ही दिन से गायब पुत्र की खोज करते उसकी मां और पिता धोरैया थाना पहुंचे। दोनों ने शव की पहचान इकलौते पुत्र 26 वर्षीय सुभाष मंडल के रूप में की। शव देखते ही मां-बाप के साथ सभी सात बहन की हालत खराब हो गये। सभी के क्रंदन से थाना का माहौल गमगीन हो गया। उसके पिता भागलपुर जिला अन्तर्गत अमदंडा थाना क्षेत्र के केशोपुर निवासी हैं।
उसके पिता ने बताया कि सरस्वती पूजा के दिन सुभाष सन्हौला बाजार मार्केटिंग करने आया था। जिसे कुछ लोगों ने अगवा कर उसकी हत्या कर दी। थानाध्यक्ष राजेश मंडल ने बताया कि शव की बरामदगी के बाद पंचायत के चौकीदार कैलाश पासवान के बयान पर प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है। उन्होंने बताया कि अगर मृतक के परिजन द्वारा हत्या की आशंका को लेकर किसी के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज करायी जाती है तो पुलिस कार्रवाई करेगी।
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शादी के पहले उठ गई अर्थी
बोध नारायण तिवारी, संसू, धोरैया (बांका): काश सुभाष की मां को दुश्मनों के राज का पता चलता तो वह अपने बेटे को सरस्वती पूजा का सामान खरीदने बाजार नहीं भेजता। शादी के ठीक पहले उसकी उठी अर्थी से परिजन सहित पूरा आसपास गमगीन है। उसकी मां ने बताया कि उसका इकलौता पुत्र परिवार चलाने में सहयोग के लिए दिल्ली में काम करता था। शादी की बात को लेकर वह हाल ही में घर आया था। सरस्वती पूजा के दिन शनिवार को सन्हौला बाजार समान की खरीददारी के लिए गया। सात बहनों के बाद सुभाष इकलौता भाई है। लेकिन, जबसे उसकी शादी की बात धोरैया प्रखंड के चांदपुर में चलने लगी तबसे वह घर पर ही था। वह भी शादी के बाद ही दिल्ली लौटने वाला था। लेकिन शादी के दो महीने पूर्व ही उसके घर में मातमी सन्नाटा पसरा हुआ है। सुभाष की मां गीता देवी एवं उसके पिता हन्नू मंडल बताते है कि बहुत देवी देवताओं से मन्नत मागने पर एक पुत्र हुआ। जिससे वे उसकी शादी से पहले ही उसकी अर्थी बूढे़ बाप को उठानी पड़ी। एक तरफ मां-बाप तो दूसरी तरफ सातों बहन अपने भाई को याद कर अचेत हो जाती है। वहीं पिता अपने बुढ़ापे के सहारा को पागल की तरह ढूंढ रहा है।