लहलहाती धान की फसल को लगा झुलसा
संवाद सहयोगी, बांका: देसड़ा गांव का किसान हीरामन यादव अपने धान की फसल में लगे गलसा यानि झुलसा बीमारी की समस्या को लेकर कृषि विज्ञान केंद्र पहुंचे थे। उन्होंने वैज्ञानिकों ने इस रोग के पनपने की शिकायत की। पौधे को देखने से प्रतीत हो रहा था, कि पौधा पूरी तरह सूख गया है। और उसपर पीला रंग चढ़ गया है। वैज्ञानिकों ने पता किया तो पौधा झुलसा रोग से पीड़ित मिला। झुलसा रोग जिले के विभिन्न क्षेत्रों में तेजी से फैल रहा है।
अबकी अनुकुल बारिश से धान फसल का उत्पादन बढ़ने की उम्मीद को झुलसा की हाय लग गयी है। झुलसा यानि की गलकी रोग धान फसल में तेजी से बढ़ रहा है। अगर समय पर इसका रोकथाम नहीं किया गया तो, धान का उत्पादन बुरी तरह प्रभावित होगा।
क्या है झुलसा रोग
झुलसा रोग धान के पौधों को कमजोर कर देता है। बीमारी लगने के बाद वह धीरे-धीरे सूख जाता है। इसके अलावा पौधों में जगह-जगह छिद्र भी हो जाता है। जिससे धान में दाना नहीं हो पाता है।
बीमारी का लक्षण
झुलसा रोग से ग्रसित धान के पौधे के पत्तों में पीला धब्बा उभर आता है। कीड़े के प्रकोप से पौधे में जगह-जगह छिद्र दिखाई देते हैं। साथ ही ग्रसित पौधे को उखाड़ने पर वह आसानी से हाथ में आ जाता है।
तनाछेदक- धान में एक तरह से कीड़ा ने भी आक्रमण कर दिया है। जो पौधे में जगह-जगह छिद्र कर दे रहा है। तनाछेदक कीड़ा धान की फसल में शुरूआत में ही प्रवेश कर जाता है। जो पौधे के अंदर समा कर धीरे-धीरे सारा पोषण तत्व को खा लेता है। जिस वजह से पौधे का विकास रुक जाता है। परिणाम धान में दाना नहीं आ पाता है।
लक्षण-पौधे में जगह-जगह छिद्र होना। पौधे पर कीड़ा पाए जाना। साथ ही पौधा सूखना आदि।
----------------------
बीमारी के रोकथाम का उपाय
झुलसा- झुलसा रोग से पीड़ित खेत में हेक्साजोला 300 एमएल प्रति एकड़ छिड़काव करें। तनाछेदक में भी यह दवा प्रयुक्त कर सकते हैं।
---------------------
क्या कहते हैं वैज्ञानिक
जिले के कई प्रखंड में धान में गलकी जिसे साधारण भाषा में झुलसा रोग कहते हैं। उसका असर दिख रहा है। अगर समय रहते रोग पर काबू नहीं पाया गया तो, यह फसल को अहित करेगा। दवाई के प्रयोग फसल को बचाया जा सकता है। दवाई का छिड़काव करते समय किसान सावधानी जरूर बरतें। वहीं खेत से खरपतवार को बाहर कर दें। घास वगैरह न उगने दें।
सुनीता कुशवाहा
कार्यक्रम समन्वयक, केवीके