आत्मा के अंदर ही परमात्मा का वास : स्वामी चतुरानंद
जागरण न्यूज नेटवर्क, पंजवारा (बांका) : जीवात्मा के अंदर ही परमात्मा का वास है। जैसे कस्तूरी मृग के शरीर में रहता है, लेकिन उसकी सुगंध खोजने में मृग जंगल में इधर से उधर भटकता रहता है। उसी प्रकार मानव अपने चित्त के अंदर बसे परमात्मा को छोड़ सदा तीर्थाटन में इधर से उधर भटकता रहता है। जिस शरीर के अंदर आत्मा रूपी परमात्मा का वास है। वहां हम आहार के माध्यम से पाप की गठरी भरते रहते हैं। मांस, मछली, खैनी, बीड़ी, शराब, गुटखा आदि खाकर अंदर गंदा कर रहे हैं। उपर से सुंदर कपड़ा पहन बाहरी आवरण ढक रहे हैं। माता, पिता, गुरु व बुजुर्ग संसार में जीवित ईश्वर समान है। इसकी सेवा करो। झूठ, पाप, व्याभिचार, हिंसा, बलात्कार जैसे घृणित कार्य से तौबा करो। दीन, दुखियों की सेवा करो। ईश्वर का आशीर्वाद अवश्य प्राप्त होगा। उक्त बातें पड़रिया गांव में संतमत सत्संग अधिवेशन के दूसरे दिन समापन पाली के दौरान मनियारपुर आश्रम के प्रधान आचार्य संत श्री चतुरानंद बाबा ने सत्संग प्रेमियों को कही। उन्होंने भक्त, भगवान, गुरु, शिष्य के कई प्रेरक प्रसंगों की कहानी भी उदाहरणार्थ सुनायी। सत्संग समारोह को इनके अलावा भागवत बाबा, अनुपम बाबा, विप्रानंद बाबा, धर्मानंद बाबा आदि सत्संग संतों ने स्तुति, प्रार्थना, गीत एवं प्रवचन के माध्यम से सत्संग सार का रसपान सत्संग प्रेमियों को सुनाई। अधिवेशन में हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे थे। समारोह को सफल संचालन में ग्रामीण हलधर मंडल, डॉ. महेश प्रचार चौधरी सहित तमाम ग्रामीणों की सराहनीय भूमिका रही।
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