श्रद्धालुओं ने किया सद् वचनों का रसपान
निज, प्रतिनिधि, अमरपुर (बांका) : महादेवपुर गांव स्थित श्री श्री 108 हनुमान प्रतिमा स्थापना कार्यक्रम में प्रवचन सुनने के श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही। प्रवचनकर्ता हिमाचल प्रदेश के कांगड़ापीठ के शंकराचार्य स्वामी शारदानंद सरस्वती ने कहा कि आज उनका सौभाग्य है कि उस भूमि और मिट्टी पर उन्हें बोलने का मौका मिला है। जो महादानी कर्ण की राजधानी विक्रमशिला, तक्षशिला, नालंदा विश्वविद्यालय और महेन्द्र गोप जैसे स्वतंत्रता सेनानी की जन्म भूमि एवं कर्म भूमि रही है। उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात का भी आपार हर्ष है कि इसी क्षेत्र की मिट्टी में राजा चंदेल वंश का शासन रहा है। साथ ही यहां से कुछ दूरी पर गिद्धौर के दिवंगत दिग्विजय सिंह राज्य और देश ही नहीं बल्कि विदेशों में अपनी पहचान बनाई और आज उनकी पत्नी पुतुल कुमारी इस क्षेत्र की सांसद है। इस बात का गौरव है कि आप सबों को देखकर हम धन्य हो गए हैं। इस उद्बोध पर पूरे कथा स्थल अपने आप को गौरवान्वित महसूस कर शंकराचार्य जी का जयकारा करने लगी। उन्होंने भगवान शंकर का हनुमान के रूप में अवतरित होने का प्रसंग कही। उन्होंने श्रोताओं को आध्यात्म दर्शन कराते हुए कहा पत्नी को पति का रूख देकर बात करनी चाहिए। हाथ की रेखा ठीक करनी है तो संकीर्तन में शामिल होकर बजाओ ताली और अगर मस्तक की रेखा ठीक करनी हो तो गुरु और भगवान के चरण में मस्तक रगड़ना शुरू कर दो। वर्तमान परिवेश में समाज किसी को भी सहजता से किसी रूप में स्वीकार नहीं करता है। अगर मनुष्य का संकल्प दृढ़ हो और मंजिल पवित्र हो तो मनुष्य इष्ट को भी पा लेगा। उन्होंने साधु, बनिया और रानी की व्याख्या करते हुए कहा कि साधु को गरम, बनिया को नरम और स्त्री को शर्म करना चाहिए। उन्होंने कहा कि शक्ति के बिना शिव अधूरा है और भक्ति के बिना भगवान की प्राप्ति असंभव है। शिष्य अगर धैर्यधारण करें तो गुरु निश्चित शिष्य को परमात्मा से मिला देता है। कथा स्थल पर भीड़ का नियंत्रित करने के लिए जगह-जगह पर समिति द्वारा प्रोजेक्टर लगाया गया है। समिति के अध्यक्ष सत्यनारायण चौधरी, शंभू चौधरी, सर्वोत्तम कुमार, श्रीनारायण शर्मा सलील, देवो दा, जयराम चौधरी, राजेश शर्मा, कन्हैया आदि व्यवस्था में लगे हुए हैं।
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