शिक्षक संघ (गोप गुट) जातिवादी तत्वों के चंगुल में
औरंगाबाद। बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ (गोप गुट) जातिवादी राजनीति का शिकार हो गया ह
औरंगाबाद। बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ (गोप गुट) जातिवादी राजनीति का शिकार हो गया है। चाटूकार हावी हैं और जो विरोध करते हैं उन्हें बैठक में नहीं बुलाया जाता है। कुछ लोग अपनी मुट्ठी में इसे रख रहे हैं। नतीजा संघ अपनी साख और चमक खोता जा रहा है। यह गंभीर आरोप खुद संघ के जिला उपाध्यक्ष सुरेंद्र ¨सह ने मीडिया को बयान जारी कर लगाया है। किसी का नाम नहीं लिया गया है बल्कि 'कुछ मुट्ठी भर जातिवादी तत्वों' के खिलाफ यह बयानबाजी की गई है। जारी बयान में कहा है कि संघ का जिला सम्मेलन हो रहा है परंतु सभी पदधारकों को आधिकारिक सूचना नहीं दी गई है। आमंत्रित करने के मामले में भयंकर भेदभाव किया गया है। कहा कि भेदभाव के कारण ही संघ अपनी पुरानी चमक और साख खोता जा रहा है। यह दुख और अफसोस की बात है। कहा है कि पिछले कुछ वर्षों से स्थिति यह हो गई है कि एक खास जाति के नेताओं की अथवा उनकी खुशामद करने वालों की बातें ही संगठन में सुनी जाती हैं। शेष अन्य लोगों की बातें या तो अनसुनी कर दी जाती हैं या उन्हे हाशिये पर डाल दिया जाता है। कहा कि वे अकेले नहीं हैं, जिला कमिटी के कई पदधारकों एवं सदस्यों को भी चाटूकारिता करने से इंकार करने के कारण बैठकों में बुलाना बंदकर दिया गया है। मुट्ठीभर लोग मनमाने फैसले लेते रहते हैं। यहां तक कि जिले में (गोप गुट) का जिर्णोद्धार करने वाले राज्य सचिव सत्येंद्र कुमार को भी बैठकों में जान बूझकर नहीं बुलाया जाता है क्योंकि वे भी इस जातिवादी लॉबी के मुखर विरोधी हैं।
प्रावधानों का खुला उल्लंघन
शिक्षक संघ गोपगुट के ताजा विवाद में कई वजह है। जिला उपाध्यक्ष सुरेन्द्र ¨सह ने कहा कि प्रावधानों का तकाजा था कि जिला सम्मेलन का निर्णय लेने के पूर्व संघ की जिला कमिटी की विस्तारित बैठक बुलाकर जिले में आम शिक्षकों के बीच पहले व्यापक सदस्यता अभियान चलाया जाता। प्रखंडों में सम्मेलनों के जरिये पहले प्रखंड कमिटियो का चुनाव तथा राज्य प्रतिनिधियों का चुनाव करवा लिया जाता। इसके बाद ही जिला सम्मेलन करने का औचित्य बनता है।