घर से घाट तक का माहौल रहा गमगीम
जवान पिता के कंधे पर जवान बेटे की शव यात्रा निकली और जब पिता ने पुत्र ।
औरंगाबाद। जवान पिता के कंधे पर जवान बेटे की शव यात्रा निकली और जब पिता ने पुत्र को मुखाग्नि दी तो माहौल गमगीम हो गया। यह दुख हर पिता के लिए जीवन में कष्टकर होता है। राजेंद्र प्रसाद को सोमवार को यह दिन देखना पड़ा। उन्हें अपने 22 साल के बेटे सन्नी को मुखाग्नि देनी पड़ी तो घर से घाट तक माहौल दुख और गम का बन गया। रविवार को देवकुली के पास एनएच-98 पर हुई सड़क दुर्घटना में घायल सन्नी की मौत इलाज के लिए बाहर ले जाते वक्त रास्ते में हो गई। उसके साथ घायल हुए बंटी का इलाज पटना में चल रहा है। दोनों हरिहरगंज से दाउदनगर वापस बाइक से लौट रहे थे जब एक ट्रक से टक्कर हो गई थी। सोमवार को सन्नी का अंतिम संस्कार सोन तट पर किया गया। कूचा गली स्थित उसके घर से लेकर घाट तक माहौल गमगीम बना रहा। मौत से घर की महिलाएं और पुरुष सभी चित्कार मार रो रहे थे। चाची आरती देवी, बहन गूंजा देवी, बुआ सुनीता देवी व ¨बदा कुंवर का रो रोकर बुरा हाल था7 मां सुनिता देवी का निधन चार साल पहले बीमारी से हो गई थी। भाई छोटू बेरोजगार है। अभी इंटर की पढ़ाई कलेर कॉलेज से कर रहा है। बहन सोनी की शादी नहीं हुई है। पिता राजेंद्र प्रसाद भखरुआ में सब्जी बेचकर घर को चलाते है। सन्नी पहले असम में और अभी विशाखापटनम में सुरक्षा प्रहरी का काम करता था। यहां दशहरा में आया था। होली बाद उसे जाना था। मात्र 22 साल की उम्र में उसके जीवन का अंत हो गया। सन्नी के पिता पर दुख का पहाड़ टूट पडा है।
यमराज का अनुभव हुआ कई को
सन्नी और बंटी की सड़क दुर्घटना ने कई को यमराज का अनुभव कराया। बताया कि उसे लेकर गया स्थित मगध मेडिकल कॉलेज ले जाने वाला एंबुलेंस रास्ते में खराब हो गया। उसके बाद साथ चल रहे कई वाहन खराब हो गए। साथ जाने वालों को लगा कि यमराज आज काफी नाराज हो गए हैं।
सुरक्षा की लापरवाही पड़ रही जान पर भारी
सड़क सुरक्षा सप्ताह मनाया जा रहा है7 ऐसे में एनएच 98 पर हुई सड़क दुर्घटना की प्रकृति से कई सवाल उठे हैं। युवा सड़क पर यात्रा करने के क्रम में बुनियादी सुरक्षा का ख्याल नहीं रखते हैं। प्राय: देखा जा रहा है कि हादसों में मौत युवाओं की काफी अधिक होती है। इसकी वजह सुरक्षा की अनदेखी और लापरवाही से बाइक चलाने की प्रवृति है। युवा हेलमेट नहीं पहनते, जबकि अधिकतर मौत सर में चोट लगने की वजह से ही होती है। डा. चंचल मिश्र कहते हैं कि सड़क दुर्घटना आज के परिवेश में साधारण बात हो गई है। प्रशासन के साथ खुद इंसान लापरवाह होते जा रहे हैं। वह अपना मूल कर्तव्य खो चुके हैं। जैसे गाड़ी चलाते समय मोबाइल का प्रयोग करना, सीट बेल्ट का प्रयोग न करना, हेलमेट न पहनना, ओवरटेक करना एवं गाड़ी चलाते समय अपना दिमाग केंद्रित न रखना, इन वजहों से अधिक दुर्घटना और मौत हो रही है। डा. राजन ने कहा कि घटना के बाद किसी को आक्रोशित नहीं होना चाहिए। हाइवे पर पेट्रो¨लग और एंबुलेंस की सुविधा तत्काल उपलब्ध होने की व्यवस्था होनी चाहिए। कहा कि सरकार को सख्ती से सुरक्षा मानको को पूरा कराना चाहिए।