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औरंगाबाद में अब लगा डीजे पर प्रतिबंध

औरंगाबाद। समाहरणालय स्थित नगर भवन में शनिवार को विधायक आनंद शंकर, विधान पार्षद राजन क

By Edited By: Published: Sat, 30 Apr 2016 05:29 PM (IST)Updated: Sat, 30 Apr 2016 05:29 PM (IST)
औरंगाबाद में अब लगा डीजे पर प्रतिबंध

औरंगाबाद। समाहरणालय स्थित नगर भवन में शनिवार को विधायक आनंद शंकर, विधान पार्षद राजन कुमार सिंह, डीएम कंवल तनुज एवं एसपी बाबूराम की मौजूदगी में ऐतिहासिक फैसला लिया गया। पूरे जिले में पर्व अथवा त्यौहारों में डीजे साउंड के बजने पर प्रतिबंध लगा दी गई है। जिले के हर प्रखंडों से दोनों संप्रदाय से पहुंचे गणमान्य लोगों की मौजूदगी में एसपी ने डीजे के बजने पर प्रतिबंध की घोषणा की। कहा कि डीजे के बजने पर प्रतिबंध लगाने के लिए दोनों संप्रदाय के प्रमुख लोगों ने अपनी सहमति दी। समाज के सभी वर्गो से सहमति मिलने के बाद पूरे जिले में पर्व एवं त्यौहारों के मौके पर डीजे साउंड के बजने पर आज से रोक लगा दी गई है। इसके लिए हर प्रखंडों के साउंड संचालकों से यह बाउंड भरवाया जाएगा कि वे किसी भी पर्व एवं त्यौहार के मौके पर अपना डीजे भाड़े पर नहीं देंगे। सभी थानाध्यक्षों को इस बाबत निर्देश दे दी गई है। रोक के बावजूद अगर साउंड संचालक नहीं मानेंगे तो न सिर्फ उनकी डीजे अथवा वाहन जब्त की जाएगी, बल्कि प्राथमिकी दर्ज करते हुए गिरफ्तार कर जेल भेजा जाएगा। बता दें कि पूरे राज्य में औरंगाबाद एक ऐसा जिला होगा जहां पर्व एवं त्यौहारों के मौके पर डीजे साउंड के बजने पर रोक लगाई गई है।

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इंसान स्थायी बहरापन, तो पशुओं को हो रहा गर्भपात :

औरंगाबाद।

शादी-विवाह, पर्व-त्योहार पर शहर-गाव में चौराहों पर बजने वाले कानफोड़ू डीजे आम होते जा रहे हैं। इनकी तेज आवाज से इंसानों के कान के पर्दे तक फट सकते हैं। इतना ही नहीं इनसे स्थायी बहरापन के अलावा कई दिमागी रोग हो सकते हैं। 5 साल तक के बच्चों को ज्यादा नुकसान होता है। शादी, मुंडन, पूजा, धार्मिक, कार्यक्रम में बजने वाले डीजे (ध्वनि प्रदूषण) से होने वाले नुकसान के बारे में बताने के लिए पंजाब पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (पीपीसीबी) ने अभियान छेड़ रखा है। इसमें बताया जाता है कि ज्यादा देर तक तेज आवाज सुनने से कानों पर क्या असर पड़ेगा। बोर्ड इसके लिए स्कूल, मैरिज पैलेस और गाव में पंचायत का सहयोग ले रहा है। बताते चलें कि डीजे की आवाज से एक साथ 126 दुधारू पशुओं के गर्भपात के बाद यह पहल की गई।

डीजे के खतरनाक दुष्प्रभाव :

- डीजे की आवाज से कान की परत फटने से स्थायी बहरेपन, दिमाग और हार्ट की समस्या हो सकती है।

- डीजे की नॉर्मल साउंड 400 से 580 डेसीबल

- नुकसानदायक साउंड का लेवल 125 डेसीबल से ऊपर

- डॉक्टरों के अनुसार सेफ साउंड 100-125 डेसीबल तक

-बोर्ड ने लोगों को अवेयर करने के लिए की प्लानिंग

- बोर्ड लिटरेचर तैयार करके सबसे पहले स्कूलों के नोटिस बोर्ड पर लगाएगा, जिससे बच्चे इसके बारे में जान सकें और लोगों को अवेयर कर सकें।

- लिटरेचर को मैरिज पैलेस में बोर्ड पर लगाए जाएगा, जिससे डीजे वालों को पता लगे सके कि तेज आवाज में डीजे चलाकर वह कितना कितना नुकसान कर रहे हैं।

-गाव में अवेयर करने के लिए बोर्ड सरपंचों की मदद से लिटरेचर पंचायत मीटिंग, खेल मुकाबले या मेले में युवाओं को देगा।

डेसीबल वाली आवाज लोगों के लिए नुकसान दायक होती है। इससे दिमाग तंत्र को नुकसान पहुंचता है। हार्ट और ब्लड सर्कुलेशन पर बुरा असर पड़ता है। सबसे ज्यादा नुकसान गर्भ में और 5 साल तक के बच्चों पर पड़ता है।

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लग्न बाद तामील हुआ हाईकोर्ट का आदेश :

दुष्प्रभाव को देखते हुए हाईकोर्ट पटना ने गत जनवरी माह में ही डीजे को प्रतिबंधित कर दिया था। मुख्यसचिव ने भी वीडियो कांफ्रेंसिंग व लिखित आदेश जिलों को भेज कर डीजे बजाने पर प्रतिबंध को सख्ती से तामील कराने का आदेश दिया था। इसके बावजूद जिला प्रशासन इस मसले को ठंडे बस्ते में डाले रहा। अब जब नुकसान हो चुका है, उसके बाद डीजे बजाने पर प्रतिबंध लगाया गया है। खैर देर आयद, दुरुस्त आयद।


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