पिछड़ रही है रबी फसल की बुआई
नोटबंदी से उपजी मंदी के बीच मौसम भी अपना नकारात्मक रुख दिखाने लगा है।
औरंगाबाद। नोटबंदी से उपजी मंदी के बीच मौसम भी अपना नकारात्मक रुख दिखाने लगा है। इसका बुरा प्रभाव समाज के रोजमर्रे के कामकाज पर देखा जा रहा है। अब मौसम की मार किसान भी झेल रहे हैं। उनके पास कोई विकल्प या उपाय नहीं बचा है। किसान परेशान हैं और खेती का समय जाता हुआ देख रहे हैं। तरारी में किसान संजय सिंह यादव ने बताया कि खेती का उपयुक्त समय निकाला जा रहा है। मौसम खराब है। खेत तैयार नहीं हो पा रहा है। मौसम के कारण धान की कटाई का काम बमुश्किल पाच फीसदी हो सका है। ऐसे में रबी की बुआई का काम नहीं शुरु हो पा रहा है। बताया कि खेत में पाती नहीं सूख पा रहा है। जब तक यह सूखेगा नहीं तब तक कटाई नहीं हो पाएगी।
मौसम में नमी की वजह से ऐसा हो रहा है। बताया कि नमी के कारण धान में कीड़ा लग रहा है। बाल को काट कर खेत में गिरा दे रहा है। रबी की फसल की बुआई नहीं हो पा रही है। 15 दिसंबर तक चना की बुआई हो जानी चाहिए थी, अभी यह शुरु भी नहीं हो सका है। किसानों ने चना की बुआई शुरु की है, गेहूं, तोरी की भी बुआई प्रभावित हो रही है। इनके पिछड़ने से उत्पादन पर बुरा प्रभाव पड़ता है। दूसरी तरफ इससे खेती की लागत बढ़ जाती है। किसान संजय यादव, शशेरनगर के रविरंजन कुमार, दुबे खैरा के सुनील दुबे ने बताया कि किसान मौसम की वजह से परेशान हैं। बुआई पिछड़ने से खेती पिछड़ेगी और इससे उत्पादन प्रभावित होगा।
होनी चाहिए अलाव की व्यवस्था
दाउदनगर (औरंगाबाद) : कड़ाके की ठंड के बावजूद कही अलाव की व्यवस्था सरकारी स्तर पर नहीं की गई है। पूर्व वार्ड पार्षद रवींद्र कुमार गुप्ता एवं मखरा निवासी सुरेंद्र सिंह यादव ने कहा कि प्रशासन द्वारा अलाव के व्यवस्था नहीं की गई है। सरकार सिर्फ गरीबों के हित की बात करती है। उसके कल्याण के दावे करती है और कही अलाव की व्यवस्था तक नहीं की गई है। प्रशासन शीघ्र अलाव की व्यवस्था शहर और गांव में करें तथा गरीबों के बीच कंबल वितरण करें।