कट्टरपंथियों! गौर से इधर देखा करो.
संवाद सहयोगी, दाउदनगर (औरंगाबाद) : शहर में धार्मिक आयोजनों को साप्रदायिकता बनाम धर्मनिरपेक्षता के नज
संवाद सहयोगी, दाउदनगर (औरंगाबाद) : शहर में धार्मिक आयोजनों को साप्रदायिकता बनाम धर्मनिरपेक्षता के नजरिये से देखने वालों के लिए कई सबक एक साथ हैं। कट्टरपंथी तत्वों को सत्संग नगर और मिलाप पूजा समिति के पंडाल का भ्रमण करना चाहिए। दोनों पक्षों के कट्टरपंथी तत्व इससे बड़ी सबक ले सकते हैं। दैनिक जागरण ने नवंबर के हादसे के वक्त बताया था कि कैसे यहा हिन्दू की जमीन पर अल्लाह की इबादत होती है। कैसे अल्पसंख्यक समाज ने अपने प्रतिष्ठित बुजुर्ग की मजार को सार्वजनिक हित के लिए सड़क में विलीन कर दिया था। 25 मार्च को बताया गया था कि कैसे अल्पसंख्यक मिलाप पूजा समिति के लिए चितरंजन पुर से आकर मंदिर की अनुकृति का पंडाल बना रहे हैं। करीब एक लाख चालीस हजार खर्च कर चंडी मंदिर कोलकाता की अनुकृति बनाई गई है। जराउद्दीन, राजू, लाल मोहम्मद, जाकिर, इस्माइल, उस्मान, सुलेमान ने यह पंडाल बनाया। इनके साथ एक मात्र हिन्दू कलाकार अरुण है। शनिवार को सत्संग नगर में मो.जिलानी अहमद धार्मिक पुस्तकें बेचते दिखे। बताया कि दो साल से यहा रामनवमी में वे पुस्तक बेचते हैं। अच्छी बिक्री हो जाती है। अपने बेटे को भी एक ओटा पर बच्चों की किताबें देकर बैठाए हुए हैं। वैसे भखरुआ में नहर के पास हर रोज यही कार्य वे करते हैं। इनकी दुकान से धार्मिक पूजा-पाठ, देवी-देवताओं की आरती की किताबें एक वर्ग के लोग खरीदते हैं। पुस्तकें खरीदने में कोई संकोच नहीं होता। दरअसल दो वक्त की रोटी चाहिए ही चाहे इसके लिए हिन्दू को कुरआन बेचना पडे़ या मुसलमान को गीता, रामायण। इससे भला जीवन को क्या फर्क पड़ता है।