नहीं है किताब तो कैसे पढ़ेंगे बच्चे
सरकारी विद्यालयों में नामांकन कराए जाने के चार महीने बीत जाने के बाद भी बच्चो को पाठ्क्रम।
अरवल। सरकारी विद्यालयों में नामांकन कराए जाने के चार महीने बीत जाने के बाद भी बच्चो को पाठ्य सामाग्रियां उपलब्ध नहीं कराई गई है। इसके कारण प्राथमिक से लेकर मध्य विद्यालय तक पढ़ने वाले बच्चे का भविष्य चौपट होता जा रहा है। मार्च से लेकर जून महीने तक बच्चे किताब के वगैर ही स्कूल जा रहे हैं। यहां बताते चले कि सरकारी विद्यालयों मे मुख्य रुप से गरीब परिवार के ही बच्चे पढ़ने जाते हैं। जिस परिवार के लोगों को निजी विद्यालयों में अपने बच्चों को पढ़ाने की क्षमता नहीं है वे लोग ही उसे सरकारी विद्यालयों में पढ़ने के लिए भेजते हैं। जिला पार्षद आनंद कुमार चंद्रवंशी तथा सरदार रणविजय ¨सह ने बताया कि दरअसल लालू-नीतीश की राजनीति में अतिपिछड़ा तथा महादलितों के वोट का काफी महत्व रहा है। वे लोग यह जानते हैं कि इन्हीं लोगों का भावनात्मक शोषण कर सत्ता में कायम रह सकते हैं। अगर इनके बच्चे पढ़ लिख जाएंगे तो भावना में बहकर वे लोग वोट नहीं कर पाएंगे। भाजपा नेताओं ने कहा कि यही कारण है कि सरकारी विद्यालयो में पढ़ने वालों बच्चों को पुस्तक उपलब्ध नहीं कराई गई है।