आयी बाढ़,प्रशासन ने प्रारंभ किए दर्जनों राहत कैंप
जागरण संवाददाता, अररिया: नदियों का घटता बढ़ता जलस्तर व आसमान से बरसती बूंदे जिला वासियों
जागरण संवाददाता, अररिया: नदियों का घटता बढ़ता जलस्तर व आसमान से बरसती बूंदे जिला वासियों के लिए लगातार परेशानी का सबब बनी हुई हैं। सोमवार को बकरा नदी शांत रही तथा सिकटी, कुर्साकाटा आदि प्रखंडों में इसका जलस्तर नीचे भी आया,लेकिन सुबह से ही परमान के स्तर में हो रही बढ़ोतरी ने लोगों की परेशानी पर ¨चता की लकीरें खींच दी। हालांकि प्रशासन ने बाढ़ पीड़ित इलाके में लगभग 94 राहत कैंप प्रारंभ कर दिए हैं, लेकिन जब किसी के आशियाने में पानी प्रवेश कर जाता है तो उसकी पीड़ा आंखों के रास्ते आंसुओं की बाढ़ बन कर सामने आ ही जाती है।
ऐसा प्रतीत होता है कि लगातार हो रही बारिश विगत पांच सालों का कसर पूरा करने में लगी है। क्योंकि अभी जुलाई बीतने में पांच दिन बाकी ही है, लेकिन जिले में 135 प्रतिशत वर्षा रिकार्ड की जा चुकी है।
हिमालय की तराई व जल ग्रहण क्षेत्रों में निरंतर हो रही वर्षा से परमान, बकरा व नूना की तिकड़ी तो उफान पर थी ही, अब लोहदंरा, भलुआ, पहाड़ा, रजई, बहेलिया, बूढ़ी, गेरुआ, चक्कर, कमताहा, फरियानी, लछहा, हिरण जैसी बरसाती नदियां भी उफना रही है। शायद यही वजह है कि गांवों में बाढ़ का पानी नीचे नहीं आ रहा। बारिश रुके तो शायद हालात बेहतर हों। इस बार बाढ़ के कारण सिकटी व फारबिसगंज में सर्वाधिक असर पड़ा है। वहीं, अररिया, जोकीहाट व पलासी के गांव भी बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। जिला प्रशासन ने सभी बाढ़ प्रभावित प्रखंडों में जरूरत के अनुसार राहत कैंप खोलने का आदेश प्रखंड विकास अधिकारियों व सीओ को दिया है। सोमवार तक विभिन्न प्रखंडों में 61 कैंप कार्यरत थे, अब उनकी संख्या बढ़ कर 94 हो गयी है। राहत कैंपों में बाढ़ से बेघर लोगों के लिए भोजन व अन्य सुविधाएं मुहैया करवाई जा रही हैं।