Move to Jagran APP

90 साल से इस गांव में लड़की का मतलब था सिर्फ सेक्स, अब हुआ ये बदलाव...

कासिमनगर की नुरेशा ने इस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है। उनके अथक प्रयास से न सिर्फ गांव में देह व्यापार का धंधा पूरी तरह बंद हो गया, बल्कि वह आधा दर्जन से अधिक युवतियों को देह व्यापार के दलदल से निकालकर उनकी शादी करा चुकी हैं।

By Pradeep Kumar TiwariEdited By: Published: Sun, 06 Dec 2015 12:13 AM (IST)Updated: Wed, 09 Dec 2015 07:22 PM (IST)
90 साल से इस गांव में लड़की का मतलब था सिर्फ सेक्स, अब हुआ ये बदलाव...

अररिया [अफसर अली]। कहते हैं अगर मन में जज्बा हो तो मुश्किलें राह में बाधा नहीं बनतीं। कासिमनगर की नुरेशा ने इस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है। उनके अथक प्रयास से न सिर्फ गांव में देह व्यापार का धंधा पूरी तरह बंद हो गया, बल्कि वह आधा दर्जन से अधिक युवतियों को देह व्यापार के दलदल से निकालकर उनकी शादी करा चुकी हैं।

loksabha election banner

नुरेशा के इस नेक काम में अन्य गांव के बुद्धिजीवियों का साथ तो मिला, लेकिन उन्हें कठिन परिस्थितियों से भी गुजरना पड़ा। उनको कई झूठे मुकदमों में फंसाने का प्रयास किया गया। साथ ही आर्थिक व मानसिक प्रताडऩा भी झेलनी पड़ी। बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी।

रेड लाइट एरिया के रूप में प्रसिद्ध था हांसा समीप गांव

हांसा समीप गांव वर्तमान में कासिमनगर को कभी रेड लाइट एरिया के नाम से जाना जाता था। इस गांव में नट जाति के लोग रहते हैं। यहां बेटी को कमाई का साधन माना जाता था। होश संभालते ही बच्चियों को देह व्यापार के दलदल में धकेल दिया जाता था। यहां लड़की का मतलब बस सेक्स माना जाता था।

नट जाति में जन्मीं नुरेशा ने होश संभालते ही इसका विरोध शुरू कर दिया था। साठ वर्षीय नुरेशा कहती हैं कि उन्होंने जब होश संभाला तो गांव में बुराइयां ही बुराइयां थीं। बेटियों को मनोरंजन व कमाई का साधन माना जाता था।

नुरेशा ने इसका विरोध किया तो इस धंधे से जुड़े लोग उनकी जान के दुश्मन बन गए। उनपर कई झूठे मुकदमे लाद दिए गए। इतना ही नहीं मानसिक व आर्थिक प्रताडऩा भी झेलनी पड़ी। लेकिन नुरेशा का आत्मविश्वास नहीं डगमगाया।

उन्होंने इस धंधे से जुड़ी छह लड़कियों को उनकी मर्जी से अपने खर्च पर विवाह कराया। वह कहती हैं कि एक तरफ आर्थिक तंगी, दूसरी तरफ कई झूठे मुकदमे और विरोधियों की भरमार। फिर भी हिम्मत बरकरार रखा और अंत में उनकी ही जीत हुई। न्यायालय से सभी मुकदमा जीत गए।

जो इस धंधे को नहीं छोडऩा चाहते थे वे दूसरे शहर चले गए। शेष बच्चियों को उनकी पसंद के लड़कों से विवाह करा दिया। देह व्यापार का धंधा बंद कराने में इसी पंचायत के दूसरे गांव के लोगों का भी काफी सहयोग मिला।

अंग्रेजों के जमाने से चल रहा था यहां देह व्यापार

नुरेशा कहती हैं कि यहां अंग्रेजों के जमाने से ही देह व्यापार का धंधा चल रहा था। अब इस गांव में यह धंधा करीब दस-पंद्रह वर्ष से पूरी तरह बंद है। यहां बंगाल, नेपाल आदि की लड़कियां भी आकर धंधा करती थीं। बड़े-बड़े सफेदपोश व आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों का जमावड़ा लगा रहता था।

पेट की आग बुझाने के लिए होता था धंधा

नुरेशा कहती हैं कि यहां नट जाति के लोग गुरबत की ङ्क्षजदगी जी रहे हैं। रोजगार का कोई साधन नहीं है। पेट की आग बुझाने के लिए यहां यह धंधा किया जाता था। इन लोगों को सरकारी स्तर पर कोई लाभ नहीं मिला।

दो जून की रोटी के लिए लोग भटक रहे हंै। सरकारी स्तर पर पहल की आवश्यकता है। सिलाई-कढ़ाई का प्रशिक्षण व सरकारी मदद से महिलाएं एवं पुरुषों को स्वावलंबी बनाया जा सकता है।

इनका कहना है...

गांव में वर्षों से देह व्यापार पूरी तरह बंद है। करीब अस्सी, नब्बे वर्ष पूर्व से यहां धंधा चल रहा था। यहां के लोगों को मुख्य धारा से जोडऩे का प्रयास किया जा रहा है।

-विनोद कुमार, मुखिया, कासिमनगर पंचायत


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.