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बाटम=रास्ते ने लगाई डोलियों पर ब्रेक

फोटो - 111, 112 कैप्शन-दर्द सुनाते महादलित परिवार व गांव का दृश्य। - दूसरे के दरवाजे व खेत

By Edited By: Published: Tue, 18 Aug 2015 09:26 PM (IST)Updated: Tue, 18 Aug 2015 09:26 PM (IST)
बाटम=रास्ते ने लगाई डोलियों पर ब्रेक

फोटो - 111, 112

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कैप्शन-दर्द सुनाते महादलित परिवार व गांव का दृश्य।

- दूसरे के दरवाजे व खेत के आड होकर जाते हैं गांव

- एक दर्जन से अधिक लड़कियां विवाह के लिए बैठी हैं कुवारी

- आजादी के पूर्व से बसी है महादलित बस्ती

-2013 में तत्कालीन सीओ ने स्थल जांचकर जिला मुख्यालय में भेजी थी रिपोर्ट

- भूअर्जन पदाधिकारी के टेबुल पर धूल चाट रही है फाईल

- रास्ते के अभाव में कुटूम नहीं पहुंचते गांव

- बच्चे विद्यालय से कोसों दूर

[अफसर अली], संवाद सहयोगी, अररिया:

अररिया। निजाम बदला पर नहीं बदल सकी गांवों की तस्वीर। जिले में एक गांव ऐसा भी है जहां रास्ते के कारण डोलियां नहीं उठ रही है। जीं हां!ं कुछ इसी तरह की कहानी है रानीगंज प्रखंड के हांसा पंचायत महादलित राम टोला का। यहां लड़के वाले बारात लेकर नहीं आना चाहते हैं, क्योंकि टोला जाने का कोई रास्ता ही नहीं है। आज के समय में जो भी बारात आता है वह डीजे की धुन पर ही लड़की की विदाई चाहता है ऐसे में टोला में प्रवेश पैदल करना भी बेहद कठिन है, तो डीजे गाड़ी कहां से आएगा। इन सभी का खामियजा यहां की लडकियां भुगत रही हैं।

आजादी के पूर्व ही बसी थी बस्ती आजादी के पूर्व बसे महादलित बस्ती, रानीगंज प्रखंड के हांसा पंचायत के वार्ड नम्बर-5 के वासी एक अदद सड़क भी नसीब नहीं हैं। बीते दस वर्ष से महादलित परिवार सड़क के लिए कार्यालय का चक्कर काट रहे है। वर्ष 2013 में तत्कालीन अंचलाधिकारी रमण कुमार ¨सह गावं पहुंचकर स्थल जांचकर गांव वासियेां को भरोसा दिलाया था। तबसे फाईल जिला मुख्यालय का धूल चाट रही है। दलित परिवारों का आरोप है कि नजराना के अभाव में यह फाईल आगे नहीं बढ़ रहा है। कई बार डीएम के जनता दरबार मे भी आवेदन दिया गया।क्या कहते हैं दलित परिवार

कलावती देवी, छोटू राम, डोमी राम कहते हैं कि 1947 ई से पूर्व से यह दलित की बस्ती है। 1954 के सर्वे के दौरान से ही उनके बाप दादा के नाम से करीब साढे पांच बीघा जमीन खतियानी बना था। इसी जमीन पर घर बनाकर रह रहे हैं। पूर्व में चारो तरफ खुला था। धीरे धीरे दूसरे जाति के लोग अपना अपना जमीन घेर लिया है। अब गांव आने के लिए कोई रास्ता नहीं है। सईकिल व मोटर साईकिल से भी लोग गांव नहीं पहुंच पाते है।

-घर में बैठी है जवान बटियां

दलित परिवारों के अनुसार रास्ता के अभाव में गावं में कोई कुटूम नहीं आता है। एक बार कोई भूलबस आ भी जाए तो दोबारा संबंध जोडने गांव नहीं आते । एक दर्जन से अधिक जवान जवान लडकियां वर्षें से विवाह के लिए घर में कुवारी बैठी है। वहीं पतासी देवी ने बताया कि पोती की शादी दूसरे गावं में ले जाकर कराना पड़ा। इस गांव में कुटूम आने को तैयार नहीं थे। एक बार किसी तरह बेटी की विवाह हो जाती है तो ससुराल वाले दोबारा इस गांव में बेटी को आने नहीं देते।

अधिकारी ने की थी स्थल जांच

ग्रामीणों ने बताया कि तीन वर्ष पूर्व तत्कालीन अंचालाधिकारी रमण कुमार ¨सह ने गांव पहुचकर स्थल जांच किए थे। उन्होंने आश्वासन दिया था कि जल्द गांव आने के लिए रास्ता उपलब्ध कराया जाएगा। रास्ते का मापी कर नक्शा भी बना दिया गया था। आगे के कार्रवाई के लिए जिला मुख्यालय भू-अर्जन पदाधिकारी के कार्यालय भेजा गया। लेकिन भूअर्जन पदाधिकारी के कार्यालय के किरानी बाबू फाईल आगे बढ़ाने के लिए पैसे की मांग करते हैं।

घर में बैठीं हैं बच्चियां

मधु कुमारी, अनिता कुमारी, नेहा कुमारी, सोनी, ¨चकी कुमारी, ¨पकी आदि बच्चियां जो विवाह के लिए बैठी हैं। कई लोग रिश्ता छोड़ चुके हैं। रास्ते के अभाव में दो दर्जन से अधिक परिवार टोला छोड़कर दिल्ली, पंजाब आदि जगहों पर चले गांव हैं। ग्रामीणों का कहना है अगर सरकार उन लोगों पर भी ध्यान नहीं देगी तो एक एक कर वे लोग भी घर छोड़ने को मजबूर हो जाएंगे।

क्या कहते हैं अधिकारी

अनुमंडल पदाधिकारी संजय कुमार कहा कि उन्हें लोगों ने इस संबंध में आवेदन दिया था। वे इसकी पूरी जानकारी लेकर रास्ते के लिए ठोस पहल का प्रयास किया करेंगे।


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