आफत आकर चली गई, बैठा रह गया विभाग
अशोक झा, अररिया बाढ़, भूकंप, चक्रवात, तूफान, भारी बारिश, महामारी .., सीमांचल में अक्सर आने वाली आ
अशोक झा, अररिया
बाढ़, भूकंप, चक्रवात, तूफान, भारी बारिश, महामारी .., सीमांचल में अक्सर आने वाली आसमानी विपत्ति की सूची लंबी है। लेकिन आपदा प्रबंधन विभाग की निष्क्रियता उससे भी लंबी है। पता नहीं आम जन को फौरी राहत देने के नाम पर बना यह विभाग सक्रिय होगा। यह अलग है कि कागजी प्रक्रिया पूरी करने में कोई देर नहीं होती, लेकिन पीड़ितों को अगर आप तुरंत राहत नहीं देंगे तो विभाग के गठन का औचित्य ही क्या है।
ताजा भूकंप पर नजर दौड़ाएं तो शनिवार से बुधवार तक जिले में अफरातफरी का माहौल बरकरार रहा। लेकिन आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से अब तक क्षति का कोई सर्वे तक सामने नहीं आया है। आखिर लोग भूकंप से हुई क्षति की सूचना किनसे मांगें?
गुरुवार को प्रभारी सचिव शिशिर सिंहा के सामने दी गई जानकारी में भूकंप से केवल छह मौत एवं पांच लोगों के इलाजरत होने की जानकारी दी गई। जबकि आम आदमी भी जानता है कि क्षति इससे कहीं अधिक है। निजी भवनों की बात छोड़ भी दीजिए तो क्या आपदा विभाग को समाहरणालय भवन, जिला स्वास्थ्य समिति की बिल्डिंग, कई अस्पताल एंव स्कूल भवनों में हुई क्षति की जानकारी नहीं है? अगर नहीं है तो यह अपने आप में एक गंभीर सवाल है।
भूकंप से राहत के नाम पर जोगबनी में शिविर लगाया गया है। सदैव खाली रहने वाले इस शिविर से विभाग की निष्क्रियता साफ झलक जाती है। बुधवार को पूर्व मंत्री एवं भाजपा नेता डा.प्रेम कुमार ने भी जब शिविर का मुआयना किया था तो वहां के मेडिकल रूम का ताला बंद था।
इस जिले में आपदा प्रबंधन विभाग का औचित्य ही समझ से परे है। अगर नहीं तो कृपया बथनाहा स्थित बाढ़ राहत शेडों को स्वयं देख लें। भगवान न करे, अगर इस बार बाढ़ के कारण विस्थापन की समस्या सामने आयी तो पीड़ित लोग उक्त शेड में कैसे रहेंगे। अधिकांश शेड पर अवैध कब्जा है तो कईयों की छत ही उड़ गई है। अन्य आपदाओं के वक्त भी विभाग केवल कागजी घोड़े दौड़ाने में व्यस्त रहता है।