छुआपट्टी: हर नजर बुझी-बुझी, हरेक दिल उदास
फारबिसगंज(अररिया) व्यवसायी रोशन गुप्ता का शव आने के बाद से मृतक के घर व छुआपट्टी की गलिया सूनी हैं
फारबिसगंज(अररिया)
व्यवसायी रोशन गुप्ता का शव आने के बाद से मृतक के घर व छुआपट्टी की गलिया सूनी हैं। स्थिति- हरेक नजर बुझी-बुझी, हरेक दिल उदास वाली। छुआपट्टी में ऐसा सन्नाटा पसरा है कि सुई भी गिरे तो उसकी आवाज सुनी जा सकती है। हर कोई उदास। वैसे, संपूर्ण शहर का ही माहौल गमगीन है। बता दें कि छुआपट्टी निवासी रोशन की मंगलवार को पूर्णिया सदर थाना क्षेत्र के खुश्कीबाग स्थित ओवर ब्रिज पर मोटर साइकिल सवार बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी। बुधवार को उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया।
अब कौन उठाएगा आश्रितों का बोझ
रोशन की मौत के बाद वैधव्य की विपदा झेल रही मृतक की पत्नी को इस बात की चिंता सता रहा है कि अब तीन-तीन बेटियों का कौन करेगा परवरिशघ् कैसे चलेगी घर गृहस्थी। उनकी हालत देखने के बाद कलेजा काप जाता है। यहा बता दें कि युवा व्यवसायी रोशन भाड़े की मकान में अपनी पत्नी व बेटियों के साथ रहा करते थे। अब मृतक की पत्नी व बच्चे अपने मूल परिवार के साथ रहने को आ गए हैं।
पूर्णिया जाने से पहले रोशन यह नहीं जानता था कि पत्नी के साथ यह अंतिम भेंट होगी। शायद उन्हें इसकी भनक भी नहीं होगी कि पूर्णिया में मौत दबे पाव उनकी प्रतीक्षा में खड़ी है। वाकई, रोशन की मौत के बाद उनके परिजनों की दुनिया ही उजड़ गयी है।
हर चेहरे में पिता का अक्स ढूंढ रही लाडो
मृतक व्यवसायी को तीन बेटिया है। सबसे छोटी बेटी खुशी उर्फ लाडो महज तीन साल की है। उसकी आखें हर आने जाने वाले में अपने पिता को तलाश रही है। बच्ची को देखने के बाद देखने वालों के मुंह से हत्यारों के लिए बददुआ जरूर निकलती है। लोगों के मुंह से यह भी निकलता है कि भगवान बड़ा जालिम है।
अधिक खून बहने से हुई मौत
लोगों का कहना है कि गोली लगने के बाद रोशन का खून बहता रहा। इसी वजह से उसकी मौत हुई। अगर समय पर उन्हें चिकित्सकों के पास लाया जाता तो आज स्थिति अलग रहती। ताज्जुब नहीं कि तकरीबन चालीस मिनट तक वह सड़क पर छटपटाते रहे लेकिन एक भी हाथ सहयोग के लिए आगे नहीं बढ़ा। निश्चित तौर पर किसी भी समाज का संवेदनशून्य हो जाना एक खतरनाक संकेत है। बहरहाल, मृतक की पत्नी रीना को देखने से ऐसा लगता है कि गम के सागर ने उसकी आखों में बसेरा बना लिया है।