मुस्कान, फातमा और अब नंदिनी..
अररिया, जासं: सीमांचल की धरती को अतीत में राज विराट के मत्स्य प्रदेश के रूप में जाना जाता था। यहां क
अररिया, जासं: सीमांचल की धरती को अतीत में राज विराट के मत्स्य प्रदेश के रूप में जाना जाता था। यहां का समाज मातृसत्तात्मक था, लेकिन वक्त के थपेड़ों ने यहां महिलाओं की स्थिति को कमजोर बना दिया। बेटियों के जन्म पर यहां आज भी परिजनों के मुख से आह ही निकलती है। इस आह को अररिया की तीन बेटियों ने वाह में तब्दील कर दिया, जिसकी गूंज पूरी दुनिया में चली गयी है।
सबसे पहले नन्हीं मुस्कान मिश्रा ने केबीसी की हाट सीट पर बैठ कर अररिया वासियों के चेहरे पर लंबी मुस्कान बिखेरी। उसने सदी के महानायक के सामने गजब का आत्मविश्वास दिखाया। स्वयं अमिताभ बच्चन भी उससे प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके। इसी वर्ष फारबिसगंज की फातिमा ने केबीसी में शानदार सफलता हासिल की। बिग बी फातिमा से भी बेहद प्रभावित हुए। फातिमा यानी एक शक्तिरूपा, जिसने अररिया के मांजी की ताकत को दोबारा साबित किया कि इस धरती को लोगों ने भले ही मैले आंचल का नाम दे रखा है, लेकिन इस आंचल में ताकत की कई देवियां छिपी हैं और जब वे ठान लेती हैं तो दुनिया की हर मुश्किल आसान हो जाती है। शक्ति की इन देवियों की श्रृंखला में ताजा नाम है छाया नंदिनी का, जिसने अपनी प्रतिभा, लगन व गुरुजनों आशीर्वाद से यह प्रमाणित कर दिया कि आदमी जगह से छोटा या बड़ा नहीं होता। बल्कि वो एक दीप की तरह होती है जहां रहती है केवल रोशनी लुटाना जानती है। नंदिनी की प्रतिभा के दीप ने अररिया की बेटियों को एक ऐसी राह दिखायी है जो आने वाले दिनों में उन्हें सदा प्रेरित करती रहेगी।