वेलवाड़ी की सोनी ने जर्मनी में फहराया ज्ञानध्वज
नमो देव्यै महादेव्यै फोटो- 28 एआरआर 6 कैपशन- सोनी। आमोद शर्मा, अररिया: जिले के सिकटी प्रखंड अ
नमो देव्यै महादेव्यै
फोटो- 28 एआरआर 6
कैपशन- सोनी।
आमोद शर्मा, अररिया: जिले के सिकटी प्रखंड अंतर्गत वेलवाड़ी गांव तक लोग आज भी पैदल ही पहुंचते हैं। क्योंकि वहां तक जाने के लिए अभी तक कोई सड़क बनी ही नहीं है। इसके बाद भी उसी गांव की सोनी वाटर साइंस पर पीएचडी करने के लिए मैक्समूलर के देश जर्मनी तक चली गयी। आत्म विश्वास व पिता के हौसले का सहारे सोनी की उड़ान जिले की आधी आबादी के लिए आदर्श बन गयी है। उसके पिता विश्वनाथ मिश्रा बगल के गांव जमुआ खमगड़ा के अनंत लाल संस्कृत कालेज में प्राध्यापक हैं। सोनी का गांव वेलवाड़ी अब भी बेहद पिछड़ा है। आजादी के छह दशक बाद भी लोगों को पीने के लिए शुद्घ पानी नहीं मिल पाया है। गांव तक जाने के लिए कोई पक्की सड़क नहीं है। बारिश के दिनों में वेलवाड़ी पहुंचना समुद्र यात्रा की तरह हो जाता है। बचपन की इन्हीं दिक्कतों ने सोनी को पढ़ाई के लिए और बाद में वाटर साइंटिस्ट बनने के लिए प्रेरित किया। उसको पिता का प्रोत्साहन मिला और जिसका परिणाम है कि उसने विश्वविख्यात विद्वान मैक्समूलर के देश जर्मनी में ज्ञान का ध्वज फहराया।
सोनी की प्रारंभिक शिक्षा अररिया के जवाहर नवोदय विद्यालय में हुई। इसके बाद उसने ग्वालियर की जीवाजी यूनिवर्सिटी से बायोटेक में स्नातक व भोपाल यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएट की उपाधि प्राप्त की। उसके बाद आईआईटी कानपुर में डा.पीके भट्टाचार्य के निर्देशन में फूड टेक्नोलाजी में इम्मोबलाइज इंजाइम रिएक्टर तथा भोपाल गैस त्रासदी के पर्यावरणीय प्रभावों पर आधारित प्रभाव का अध्ययन किया। जिस पर सोनी को एमपी काउंसिल आफ साइंस एंड टेक्नोलाजी द्वारा पुरस्कृत भी किया गया। उसने आइआइटी मुंबई में भी पर्यावरण आधारित शोध पत्र की प्रस्तुति की है। इसके बाद उसे विश्व के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में से एक यूनिवर्सिटी आफ ड्यूसबर्ग इसेन में वाटर साइंस पर पीएचडी की डिग्री प्राप्त करने का अवसर मिला। इस के लिए उसने टीओइएफएल की परीक्षा पास की है। सोनी की उपलब्धियां अररिया के इतिहास में पत्थर की लकीर बन चुकी हैं।