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Ukraine War: तुर्की-रूस दोस्‍ती में दरार! कहा- यूक्रेनी इलाकों को रूसी क्षेत्र के तौर पर नहीं देंगे मान्यता

Ukraine War तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन की रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ गहरी दोस्ती है। हाल में ही शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन में भी एर्दोगन और पुतिन की दोस्‍ती को देखा गया था। एर्दोगन ने यूक्रेन युद्ध को रोकने के लिए सुलह बैठकें भी करवाई थी।

By Jagran NewsEdited By: Ramesh MishraPublished: Sat, 01 Oct 2022 08:32 PM (IST)Updated: Sat, 01 Oct 2022 08:45 PM (IST)
Ukraine War: तुर्की-रूस दोस्‍ती में दरार! कहा- यूक्रेनी इलाकों को रूसी क्षेत्र के तौर पर नहीं देंगे मान्यता
तुर्की-रूस दोस्‍ती में दरार, कहा- यूक्रेनी इलाकों को रूसी क्षेत्र के तौर पर नहीं देंगे मान्यता। एजेंसी।

अंकारा, एजेंसी। Ukraine War: यूक्रेन जंग के बीच तुर्की ने रूस को बड़ा झटका दिया है। यूक्रेन के कब्जे वाले इलाकों को रूस में शामिल करने को लेकर तुर्की ने सख्‍त टिप्‍पणी दी है। तुर्की ने कहा कि वह डोनेट्स्क और लुगांस्क पीपुल्स रिपब्लिक के साथ-साथ जापोरोजे और खेरसान क्षेत्र के रूस में शामिल होने के फैसले को मान्यता नहीं दे सकते हैं। बता दें कि तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोगन की रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ गहरी दोस्ती है। हाल में ही शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन में भी एर्दोगन और पुतिन की दोस्‍ती को देखा गया था। तुर्की एर्दोगन ने रूस-यूक्रेन युद्ध को रोकने के लिए दोनों देशों के बीच सुलह बैठकें भी करवाई थी। जिसका कोई परिणाम नहीं निकल सका।

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तुर्की ने रूस को समर्थन देने से क्‍यों किया इन्‍कार

तुर्की के विदेश मंत्रालय ने कहा कि तुर्की ने वर्ष 2014 में एक नाजायज जनमत संग्रह में क्रीमिया के रूस के कब्जे को मान्यता नहीं दी है। मंत्रालय ने कहा कि हमारा देश यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता, स्वतंत्रता और संप्रभुता का समर्थन करता है। इसके चलते हमारा देश डोनेट्स्क, लुगांस्क, खेरसान और जापोरोजे को रूसी क्षेत्र में शामिल करने के फैसले को अस्वीकार करते हैं। यह निर्णय अंतरराष्ट्रीय कानून के स्थापित सिद्धांतों का गंभीर उल्लंघन है। इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है।

नाटो का सदस्‍य होते हुए भी तुर्की और रूस में दोस्‍ती

रूस और तुर्की की दोस्ती जगजाहिर है। तुर्की ने रूस से एस-400 मिसाइल सिस्टम की खरीद की है। इतना ही नहीं, सीरिया में तुर्की और रूस साथ मिलकर सैन्य ऑपरेशन को चलाते हैं। तुर्की ने रूस के साथ सैन्य संबंधों के अलावा आपसी व्यापार को भी काफी बढ़ाया है। ऐसे में तुर्की का रूस के फैसले का विरोध करना काफी बड़ा फैसला माना जा रहा है। हालांकि, तुर्की नाटो का सक्रिय सदस्य है। नाटो का गठन ही शीत युद्ध की शुरुआत में रूस के खिलाफ हुआ था।

पुतिन ने पश्चिमी देशों को जमकर कोसा

गौरतलब है कि पुतिन ने यूक्रेन के कब्जाए चार इलाकों को रूस में शामिल करने के दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर इन चारों क्षेत्रों के रूस समर्थक प्रतिनिधि भी मौजूद रहे। पुतिन ने इस मौके पर पश्चिमी देशों को जमकर कोसा। रूसी राष्‍ट्रपति ने कहा कि इन इलाकों के लोगों ने जनमत संग्रह में अपना निर्णय सुना दिया है। अब इन क्षेत्रों के लोग रूसी नागरिक हैं। इनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी हमारी है। पुतिन ने चेतावनी देते हुए कहा कि हमारे इलाके में अगर हमला होता है तो रूस पूरी ताकत के साथ जवाबी प्रतिक्रिया देगा।

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