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इंडोनेशिया में अब विवाहेतर संबंध रखना होगा दंडनीय अपराध, संसद में आम-सहमति से हुआ संशोधन पारित

इंडोनेशिया की संसद ने अपनी दंड संहिता में एक बहु-प्रतीक्षित संशोधन मंगलवार को आम-सहमति से पारित कर दिया जिसके तहत विवाहेतर यौन संबंध दंडनीय अपराध है। यह कानून गर्भ निरोधकों के प्रचार पर रोक लगाने वाला तथा राष्ट्रपति और सरकारी संस्थाओं के अपमान को प्रतिबंधित करने वाला भी है।

By AgencyEdited By: Piyush KumarPublished: Wed, 07 Dec 2022 12:17 AM (IST)Updated: Wed, 07 Dec 2022 12:17 AM (IST)
इंडोनेशिया में अब विवाहेतर संबंध रखना होगा दंडनीय अपराध, संसद में आम-सहमति से हुआ संशोधन पारित
इंडोनेशिया की संसद ने अपनी दंड संहिता में एक बहु-प्रतीक्षित संशोधन मंगलवार को आम-सहमति से पारित कर दिया।

छह दिसंबर, एजेंसी। इंडोनेशिया की संसद ने अपनी दंड संहिता में एक बहु-प्रतीक्षित संशोधन मंगलवार को आम-सहमति से पारित कर दिया, जिसके तहत विवाहेतर यौन संबंध दंडनीय अपराध है और यह देश के नागरिकों तथा देश की यात्रा करने वाले विदेशी नागरिकों पर समान रूप से लागू होगा। समाचार एजेंसी एपी के मुताबिक, यह कानून गर्भ निरोधकों के प्रचार पर रोक लगाने वाला तथा राष्ट्रपति और सरकारी संस्थाओं के अपमान को प्रतिबंधित करने वाला भी है। संशोधित संहिता मौजूदा ईशनिंदा कानून का भी विस्तार करती है और इसमें इंडोनेशिया के छह मान्यताप्राप्त धर्मों-इस्लाम, प्रोटेस्टैंट, कैथलिक, हिंदू, बौद्ध और कन्फ्यूशियस वाद के केंद्रीय सिद्धांतों से हटने पर पांच साल की कैद का प्रावधान है।

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संहिता के अनुसार, गर्भपात कों माना गया अपराध

नागरिकों को मार्क्सवादी-लेनिनवादी विचारधारा का पालन करने वाले संगठनों से जुड़ने पर 10 साल की कैद की सजा और साम्यवाद फैलाने में संलिप्त रहने पर चार साल की कैद का सामना करना पड़ सकता है। संहिता के अनुसार, गर्भपात एक अपराध है, हालांकि इसमें उन महिलाओं को अपवाद माना गया है जिन्हें गर्भ बरकरार रखने से उनकी जान को खतरा हो, या जो दुष्कर्म के बाद गर्भवती हो गई हों।

लेकिन गर्भ 12 सप्ताह से कम का हो, जैसा कि 2004 के ‘मेडिकल प्रैक्टिस’ कानून में पहले से ही विनियमित है। मानवाधिकार समूहों ने कुछ प्रस्तावित संशोधनों की व्यापक स्तर पर निंदा की और आगाह किया कि उन्हें नई दंड संहिता में शामिल करने से सामान्य गतिविधियों को दंडित किया जा सकता है और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता व गोपनीयता के अधिकारों को खतरा हो सकता है।

दंड संहिता में अपराध न्याय प्रणाली के तहत मृत्युदंड को बरकरार रखा गया

हालांकि, कुछ ने इसे देश के एलजीबीटीक्यू (समलैंगिक समुदाय) अल्पसंख्यकों की जीत करार दिया है। सांसद एक गहन विचार-विमर्श के बाद अंतत: इस्लामी समूहों द्वारा प्रस्तावित एक अनुच्छेद को निरस्त करने पर सहमत हुए, जिसमें समलैंगिक यौन संबंधों को अवैध घोषित किया गया था। दंड संहिता में अपराध न्याय प्रणाली के तहत मृत्युदंड को बरकरार रखा गया है, जबकि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और अन्य समूहों ने इसे निरस्त करने की मांग की थी जैसा कि अन्य कई देशों ने भी किया है। हालांकि, नई संहिता के तहत मृत्युदंड की एक परीवीक्षा अवधि निर्धारित है। यदि 10 साल की अवधि में दोषी अच्छा व्यवहार रखता है तो मृत्युदंड को आजीवन कारावास या 20 साल की कैद में बदला जा सकता है।

इंडोनेशियाई नियमों के तहत संसद द्वारा पारित विधेयक राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद कानून बन जाता है। लेकिन राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बिना भी यह स्वत: ही 30 दिन बाद प्रभावी हो जाता है, भले ही राष्ट्रपति इसे निरस्त करने का नियम जारी कर दें। राष्ट्रपति जोको विदोदो संसद में इस संशोधित संहिता की विस्तृत मंजूरी प्रक्रिया के मद्देनजर इस पर हस्ताक्षर कर सकते हैं।

दंड संहित लागू होने में अधिकतम तीन वर्ष का लगता समय 

विधि एवं मानवाधिकार मामलों के उप मंत्री एडवर्ड हीराईज के अनुसार, दंड संहिता लागू होने में अधिकतम तीन वर्ष का समय लग सकता है। हीराईज़ ने कहा, ‘इसे (नई दंड संहिता) लागू करने की प्रक्रिया लंबी है, जिस पर काम किया जाना है। यह एक साल में नहीं हो सकता, बल्कि अधिकतम तीन साल भी लग सकते हैं।’ हीराईज ने कहा कि सरकार ने ‘‘ अपमान और आलोचना के बीच का अंतर काफी साफ-साफ बताया है।’

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