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Budget 2023: बजट में कहीं भी बेरोजगारी, गरीबी का जिक्र नहीं, पी चिदंबरम ने नई कर व्यवस्था पर उठाए सवाल

Budget 2023 वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं कांग्रेस के पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने दावा किया कि वित्त वर्ष 2023-24 के लिए पेश किये गये केंद्रीय बजट ने देश के ज्यादातर लोगों की उम्मीदों के साथ विश्वासघात किया है।

By AgencyEdited By: Babli KumariPublished: Thu, 02 Feb 2023 12:02 PM (IST)Updated: Thu, 02 Feb 2023 12:02 PM (IST)
Budget 2023: बजट में कहीं भी बेरोजगारी, गरीबी का जिक्र नहीं, पी चिदंबरम ने नई कर व्यवस्था पर उठाए सवाल
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम (फाइल फोटो)

नई दिल्ली, एजेंसी। कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने बृहस्पतिवार को कहा कि पुरानी और नई कर व्यवस्थाओं को लेकर हो-हल्ला मचने से एक विकासशील देश में व्यक्तिगत बचत का महत्व खत्म हो गया है।

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पी चिदंबरम ने कहा कि यह बहुत स्पष्ट है कि सरकार अन्य वाणिज्यिक और वित्तीय केंद्रों की कीमत पर गिफ्ट सिटी, अहमदाबाद की किस्मत को आगे बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्पित है। सरकार भी 'नई' कर व्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्पित है, जिसके लिए कई कारणों से बहुत कम लोग हैं। इसके अलावा, नई कर व्यवस्था को डिफॉल्ट विकल्प बनाना घोर अनुचित है और यह सामान्य करदाता को पुरानी कर व्यवस्था के तहत मिलने वाली मामूली सामाजिक सुरक्षा से वंचित कर देगा।

सरकार अपनी खुद की काल्पनिक दुनिया में जी रही 

उन्होंने कहा कि सरकार अपनी खुद की काल्पनिक दुनिया में जी रही है। आर्थिक सर्वेक्षण ने दुनिया और भारत के सामने आने वाली सभी बाधाओं को सूचीबद्ध किया, लेकिन इन बाधाओं का सामना करने के लिए कोई समाधान नहीं दिया। बजट भाषण में इस बात को स्वीकार भी नहीं किया गया। सरकार अपनी काल्पनिक दुनिया में जी रही है।

कांग्रेस नेता ने कहा कि वित्त वर्ष 2021-22 में सरकार की ओर से अनुमानित जीडीपी (वास्तविक मूल्यों पर आधारित) 232,14,703 करोड़ रुपये बताई गई थी और 11.1 प्रतिशत की विकास दर का अनुमान लगाया गया था। वहीं, वर्ष 2022-23 के लिए 258,00,000 करोड़ रुपये की जीडीपी का अनुमान लगाया गया था। उन्होंने कहा कि आज पेश किये गये बजट में सरकार ने 2022-23 के लिए संशोधित अनुमान 273,07,751 करोड़ रुपये का लगाया है. चिदंबरम ने कहा,‘इसतरह, वास्तविक मूल्यों पर आधारित जीडीपी दोगुनी होनी चाहिए थी, जबकि वित्त मंत्री (निर्मला सीतारमण) द्वारा और आर्थिक सर्वेक्षण में बताया गया कि जीडीपी की वृद्धि दर सात प्रतिशत रही। सरकार को इस बारे में स्पष्टीकरण देना चाहिए।'

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