इतिहास से रूबरू होना चाहते हैं, तो पश्चिम बंगाल की इन जगहों की करें यात्रा
समुद्रतल से इसकी ऊंचाई 2134 मीटर है। इस शहर की स्थापना अंग्रेजों ने अपनी सुख सुविधा के लिए की थी। उस समय अंग्रेज गर्मी के दिनों में छुट्टियां मनाने आते थे। वर्तमान समय में दार्जलिंग चाय के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है।
दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। इतिहास के पन्नों में पश्चिम बंगाल का नाम सुनहरे अक्षरों में लिखा है। साल 1912 तक देश की राजधानी थी। इसके बाद दिल्ली देश की राजधानी बनी। तत्कालीन समय में बंगाल को देश की आर्थिक राजधानी कहा जाता था। इस पावन धरती पर कई महापुरुष पैदा हुए, जिन्होंने दुनियाभर में देश का नाम रौशन किया। अगर आप इतिहास से रूबरू होना चाहते हैं, तो पश्चिम बंगाल की यात्रा कर सकते हैं। पश्चिम बंगाल में कई पर्टयन स्थल हैं। जहां, आप भारतीय इतिहास से रूबरू हो सकते हैं। आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-
शांतिनिकेतन और बोलपुर
पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में स्थित बोलपुर और शांतिनिकेतन की दूरी कोलकाता से 152 किलोमीटर है। साल 1921 में श्री रवींद्रनाथ ठाकुर ने बोलपुर में स्कूल की स्थापना का चयन किया था। इसके बाद बोलपुर में शांतिनिकेतन की स्थापना की गई। तत्कालीन समय में वृक्ष के नीचे शिक्षण कार्य होता था। वर्तमान समय में शांतिनिकेतन के प्रांगण में कई इमारतें बन गई हैं। आप शांतिनिकेतन में गुरुकुल की झलक पा सकते हैं। इतिहासकारों की मानें तो आजादी के पश्चात शांतिनिकेतन का विकास बड़ी तेजी से हुआ।
दार्जलिंग
समुद्रतल से इसकी ऊंचाई 2134 मीटर है। इस शहर की स्थापना अंग्रेजों ने अपनी सुख सुविधा के लिए की थी। उस समय अंग्रेज गर्मी के दिनों में छुट्टियां मनाने आते थे। वर्तमान समय में दार्जलिंग चाय के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। इतिहास के पन्नों को पलटने से पता चलता है कि साल 1856 में पहली बार चाय की खेती की गई थी। उसके बाद यह जगह चाय के लिए जाना जाता है। साल 1999 में दार्जलिंग को विश्व धरोहर स्थल का दर्जा मिला।
मुर्शिदाबाद
अगर आप इतिहास से रूबरू होना चाहते हैं, तो मुर्शिदाबाद की जरूर सैर करें। मुर्शिदाबाद में कई प्रमुख पर्यटन स्थल हैं। मुगलों के समय में यह शहर बंगाल की राजधानी थी। मुर्शिदाबाद की खूबसूरती का दीदार के लिए हजारद्वारी महल जरूर जाएं। इसे बड़ा कोठी के नाम से भी जाना जाता है। इसका निर्माण हुमायूं जेह के शासनकाल में हुआ था। वहीं, हजारद्वारी महल के वास्तुकार डंकन मैक्लॉड थे।