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Jharkhand News: झारखंड की खराब उच्च शिक्षा का जिम्मेदार कौन? कब तक निचले पायदान पर रहेगा राज्य

झारखंड में खस्ताहाल उच्च शिक्षा का मुद्दा कभी कभी में नहीं सुना और नेता इसे अक्सर नजरअंदाज करते हैं। राज्य में उच्च एवं तकनीकी शिक्षा की स्थिती यहा है कि यहां के होनहार स्टूडेंट्स को पढ़ने के लिए दूसरे राज्यो में जाना पड़ता है। चुनाव के समय युवाओं को रोजगार दिलाने के बड़े-बड़े वादे और दावे होते लेकिन उच्च या तकनीकी शिक्षा का दिलाने की बात नहीं होती।

By Neeraj Ambastha Edited By: Shoyeb Ahmed Published: Sun, 28 Apr 2024 02:00 AM (IST)Updated: Sun, 28 Apr 2024 02:00 AM (IST)
झारखंड की खराब उच्च शिक्षा का जिम्मेदार कौन

नीरज अम्बष्ठ, रांची। Jharkhand Higher Education: झारखंड में उच्च शिक्षा का खस्ताहाल कभी चुनावी मुद्दा नहीं बनता। हमारे नेता इसे अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं, जबकि उच्च एवं तकनीकी शिक्षा के लिए पलायन यहां के होनहारों की मजबूरी है।

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युवाओं को रोजगार दिलाने के तो बड़े-बड़े वादे और दावे होते। लेकिन झारखंड में ही उन्हें उच्च या तकनीकी शिक्षा का अवसर दिलाने की बात नहीं होती। होनहारों के लिए हर वर्ष इसके लिए पलायन की मजबूरी बनी रहती है।

झारखंड में उच्च शिक्षा की क्या है स्थिती

झारखंड में उच्च शिक्षा की स्थिति यह है कि यह एक-दो राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों को छोड़कर सबसे निचले पायदान पर खड़ा है। केंद्र सरकार हर वर्ष उच्च शिक्षा में राज्यों की स्थिति पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण (एआईएसएचई) रिपोर्ट जारी करती है। हर वर्ष झारखंड वहीं खड़ा रहता है जहां पहले खड़ा था।

झारखंड में उच्च शिक्षा की स्थिति का आकलन इससे कर सकते हैं कि यहां एक लाख की आबादी (18 से 23 वर्ष) पर महज आठ कॉलेज उपलब्ध है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर इतनी आबादी पर 30 कॉलेज उपलब्ध हैं। कॉलेजों की उपलब्धता कम होने के कारण यहां छात्र-छात्राओं की भीड़ होती है।

यहां एक कॉलेज में औसतन 1,848 छात्र-छात्राओं का नामांकन होता है। इसका कहीं न कहीं असर शैक्षणिक गुणवत्ता पर पड़ता है। इस मामले में पूरे देश में बिहार राज्य तथा केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के बाद झारखंड की सबसे खराब स्थिति है।

एआइएसएचई क्या कहती है रिपोर्ट

अखिल भारतीय सर्वेक्षण (एआइएसएचई)-2021-22 की रिपोर्ट इसकी पुष्टि करती है। विभिन्न राज्यों की तुलना करें तो सिर्फ बिहार ही झारखंड से पीछे हैं और जहां इतनी आबादी पर महज सात कॉलेज उपलब्ध है।

झारखंड में राज्य में उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात (ग्रास इनरालमेंट रेशियाे) की स्थिति भी अच्छी नहीं है। यहां यह अनुपात 18.6 है। छात्राओं का सकल नामांकन अनुपात छात्रों से अधिक

छात्र-छात्रों का अनुपात

झारखंड के उच्च शिक्षण संस्थानों में छात्राओं का सकल नामांकन अनुपात छात्रों से अधिक है। छात्रों का यह अनुपात 18.6 तो छात्राओं का 18.7 है। अनुसूचित जनजाति श्रेणी में यह अंतर अधिक है। इस श्रेणी का सकल नामांकन अनुपात 13.9 है।

इस श्रेणी की छात्राओं में यह अनुपात 14.7 है, जबकि छात्रों में 13.1 प्रतिशत ही है। ठीक इसके विपरीत अनुसूचित जाति में यह अनुपात छात्राओं (13.7) से अधिक छात्रों (15.8) का है। 54 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक उपलब्ध झारखंड के उच्च शिक्षण संस्थानों में 54 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक उपलब्ध हैं। विश्वविद्यालयों एवं कॉलेजों में तो 60 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक उपलब्ध हैं।

एनआईआरएफ रैंकिंग में नदारद

झारखंड में जो भी सरकारी कॉलेज और विश्वविद्यालय उपलब्ध हैं, उनकी एनआइआरएफ में स्थिति ठीक नहीं है। स्थिति यह है कि यहां का कोई भी सरकारी कॉलेज या विश्वविद्यालय एनआइआरएफ रैंकिंग में स्थान नहीं बना पाता। नैक एक्रीडिएशन की स्थिति भी यहां अच्छी नहीं है।

झारखंड में कितने कॉलेज, विश्वविद्यालय

केंद्रीय विश्वविद्यालय : 01

राष्ट्रीय महत्व के संस्थान : 05

राजकीय विश्वविद्यालय : 11

निजी विश्वविद्यालय : 15

डीम्ड विश्वविद्यालय : 01

झारखंड के कॉलेजों में नामांकन

निजी कॉलेज - 76,012

निजी अनुदानित कॉलेज - 98,436

सरकारी कॉलेज - 4,99,915

कुल - 6,74,363

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