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अंधविश्वास में पड़कर ईसाई धर्म के रास्‍ते चला था परिवार, नहीं सुधरे हालात तो हुई गलती का एहसास, की घर वापसी

लोहरदगा में एक ही परिवार के 13 सदस्‍यों ने ईसाई धर्म को छोड़कर अपने आदिवासी धर्म में वापसी की है। उनका कहना है कि वे अंधविश्‍वास में भटककर इस रास्‍ते आ गए थे लेकिन अब सरना धर्म में लौटकर उन्‍हें खुशी हो रही है।

By Jagran NewsEdited By: Arijita SenPublished: Thu, 02 Feb 2023 02:56 PM (IST)Updated: Thu, 02 Feb 2023 02:56 PM (IST)
अंधविश्वास में पड़कर ईसाई धर्म के रास्‍ते चला था परिवार, नहीं सुधरे हालात तो हुई गलती का एहसास, की घर वापसी
लोहरदगा में ईसाई धर्म छोड़ एक ही परिवार के 13 सदस्य सरना धर्म में वापस लौटे

राकेश सिन्‍हा, सेन्हा (लोहरदगा)। लोहरदगा जिला क्षेत्र के सेन्हा प्रखंड क्षेत्र के मुर्की तोड़ार पंचायत के तोड़ार मैना टोली में एक ही परिवार के 13 सदस्य ईसाई धर्म का त्याग कर सरना धर्म में वापस लौटे हैं। इन सभी सदस्यों ने 12 पड़हा बेल के नेतृत्व में घर वापसी की है। सभी ने 12 पड़हा के समक्ष सरना धर्म में वापसी करने की इच्छा जताई थी, जिसके बाद बुधवार की शाम सभी की सरना रीति-रिवाज से सरना धर्म में वापसी कराई गई। सरना धर्म में वापस लौटने के बाद सभी ने कहा कि वह अंधविश्वास के चक्कर में पड़ कर ईसाई धर्म में वर्ष 2012 में शामिल हो गए थे। उनसे भूल हो गई थी। उनका सरना धर्म ही बेहतर है।

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परेशानियों से तंग आकर अपनाया था ईसाई धर्म

ईसाई धर्म से वापस सरना धर्म में घर वापसी करने वाले परिवार के सदस्य राजेश खलखो ने कहा कि उनका परिवार हमेशा बीमार रहता था। लोग उनके परिवार से दूरी बना रहे थे। परेशानी को लेकर उनका परिवार झाड़-फूंक कराने गया तो हेसवे गांव के ईसाई समुदाय के लोगों ने कहा कि इस समस्या से मुक्ति चाहिए तो पादरी के पास जाना होगा। इसके बाद उनके घर में वर्ष 2012 में पादरी आए थे।

मतांतरण के लिए पादरी ने बहकाया

पादरी ने बहका कर उनसे ईसाई धर्म कबूल करा लिया। परेशानियों से तंग आ कर उनका परिवार आदिवासी धर्म को छोड़ कर ईसाई धर्म मानने लगा था, परंतु उनके घर में 11 साल में भी कोई परेशानी कम नहीं हुई। ऐसे में लगा कि उनका अपना पुराना सरना धर्म ही बेहतर है। जिसके बाद घर वापसी का प्रस्ताव 12 पड़हा बेल के समक्ष रखा था।

परिवार ने कही अंधविश्‍वास में भटक जाने की बात

बुधवार को सरना रीति-रिवाज से सभी की घर वापसी कराई गई। ईसाई धर्म छोड़ कर वापस सरना धर्म में लौटने वालों में राजेश खलखो, सुखराम उरांव, सरिता खलखो, सुरजी उरांव, हीरा खलखो, मिनी खलखो, चंद्रदेव खलखो, राजू खलखो, सोनाली खलखो, अमन खलखो, सचिन खलखो, प्रीति खलखो शामिल हैं। सरना धर्म में घर वापसी करने वाले सुखराम उरांव ने कहा कि वह अंधविश्वास में पड़ कर भटक गए थे।

लोगों ने आदिवासी धर्म को ही माना सबसे बेहतर

सरना समाज के पड़हा बेल दीपेश्वर भगत ने कहा कि गांव में ही पाहन-पूजार द्वारा आदिवासी रीति-रिवाज से अनुष्ठान करा कर एक ही परिवार के 13 सदस्यों को उसकी इच्छा से सरना समाज में शामिल किया गया है। वहीं ईसाई धर्म को छोड़ पुनः घर वापसी पर उन सभी परिवार के सदस्यों ने कहा कि आदिवासी धर्म ही सर्वश्रेष्ठ है। किसी के बहकावे में या कोई लालच में अब दूसरे धर्म को नहीं जाएंगे। मौके पर बुधराम उरांव, तुलसी उरांव, बोलवा उरांव, मंगरा उरांव, बुधमन उरांव, सोमरा उरांव, विश्वनाथ भगत आदि मौजूद थे।

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