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तीसरे मोर्चे को हवा देने के पीछे ओपी चौटाला की है खास मंशा, पार्टी को हाशिये से ऊपर लाने की रणनीति

Third Front and Chautala हरियाणा के पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला व उनके पुत्र अभय चौटाला की तीसरे मोर्चे के गठन को हवा देने के पीछे खास मंशा है। चौटाला पिता-पुत्र की तीसरे मोर्चे के जरिये अपनी पार्टी इनेलो को हाशिये से ऊपर लाने की रणनीति है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Fri, 12 Aug 2022 08:30 PM (IST)Updated: Sat, 13 Aug 2022 07:34 AM (IST)
तीसरे मोर्चे को हवा देने के पीछे ओपी चौटाला की है खास मंशा, पार्टी को हाशिये से ऊपर लाने की रणनीति
इनेलो नेता अभय चौटाला व ओमप्रकाश चौटाला और‍ बिहार के मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार। (फाइल फोटो)

चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। Third Front and Chautala: हरियाणा के पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला और उनक पुत्र अभय चौटाला की तीसरे मोर्चे के गठन की बात काे हवा देने के पीछे खास मंशा है।  चौटाला पिता-पुत्र की भाजपा के विरुद्ध तीसरा मोर्चा के माध्‍यम से हाशिये पर पहुंच गई अपनी पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) को  राजनीतिक रूप से खड़ा करने की रणनीति है।

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बिहार में महागठबंधन से खुद के लिए सियासी आक्‍सीजन चाहता है इनेलो 

2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले इनेलो को मजबूत पार्टी माना जा रहा था, लेकिन जब से चौटाला परिवार के सदस्यों के बीच बिखराव हुआ है, इनेलो पार्टी हाशिये पर चली गई है। बिहार में भाजपा विरोधी दलों के बीच महागठबंधन को जहां देश में तीसरे मोर्चे के गठन की शुरुआत से जोड़कर देखा जा रहा है, वहीं हरियाणा में इनेलो इस महागठबंधन को अपने लिए भी सियासी आक्सीजन के तौर पर इस्‍तेमाल करना चाहता है। 

हरियाणा के पांच बार मुख्यमंत्री रह चुके ओमप्रकाश चौटाला के पिता ताऊ देवीलाल ने अपने कार्यकाल में सत्तारूढ़ कांग्रेस के विरुद्ध विपक्षी दलों को तीसरा मोर्चा बनाने का विकल्प दिया था। पूर्व उपप्रधानमंत्री ताऊ देवीलाल ने उस समय सभी विपक्षी दलों को एकजुट किया था और वीपी सिंह के नेतृत्व में देश में सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाई थी।

इनेलो को पुनर्जीवित करने के प्रयास में जुटे हैं ओपी चौटाला

भाजपा विरोधी दलों के बूते आज उसी तरह के प्रयास इनेलो प्रमुख ओमप्रकाश चौटाला पिछले काफी समय से करने की कोशिश कर रहे हैं। जेबीटी शिक्षक भर्ती मामले में सजा पूरी कर जेल से लौटते ही चौटाला ने देश में तीसरे मोर्चे की बात करनी आरंभ कर दी थी। इसके पीछे उनके दिल में 2019 के चुनाव में इनेलो की करारी हार और उनके पोते दुष्यंत चौटाला के नेतृत्व वाली जननायक जनता पार्टी की 10 सीटें आने का राजनीतिक दर्द भी छिपा था। 2005 के बाद से इनेलो सत्ता से बाहर है। वह इनेलो को पुनर्जीवित करने के प्रयास में जुटे हुए हैंं।  

दुष्‍यंत चौटाला के अलग पार्टी बनाने के बाद इनेलो को अस्तित्‍व बचाने को करना पड़ रहा संघर्ष

2019 के विधानसभा चुनाव के बाद ओमप्रकाश चौटाला के पोते दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (JJP) भाजपा के साथ गठबंधन कर सरकार में शामिल हो गई। लेकिन, 21 सीटों से मात्र एक सीट पर सिमटकर रह गई इनेलो को अपना राजनीतिक अस्तित्व बचाने के लिए संघर्षरत रहना पड़ रहा है।

इनेलो को फिर से खड़ा करने में सफल नहीं हाे पा रहे चौटाला पिता-पुत्र   

चौटाला परिवार में फूट पड़ी थी, तब हर किसी ने कहा कि यदि अभय चौटाला और दुष्यंत चौटाला एकजुट रहते तो वह प्रदेश में भाजपा का मजबूत विकल्प बन सकते थे, लेकिन इस परिवार की लड़ाई ने न केवल इनेलो को दोफाड़ कर दिया, बल्कि पार्टी को काफी पीछे धकेल दिया है। यह बात भी किसी से छिपी नहीं है कि इनेलो कई बार टूटा, बिखरा और फिर संभलकर खड़ा हो गया,  लेकिन पिछले चार सालों से ओमप्रकाश चौटाला व अभय चौटाला जिस तरह पार्टी को खड़ा करने के लिए जीतोड़ मेहनत कर रहे हैं, उन्हें उसका अपेक्षित फल नहीं मिल पा रहा है।

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इनेलो प्रमुख ओमप्रकाश चौटाला को लग रहा है कि भाजपा का विकल्प बनने के लिए न केवल तीसरे मोर्चे का गठन जरूरी है, बल्कि उनकी खुद की पार्टी इनेलो को फिर से खड़ा करने के लिए उन्हें देवीलाल और अपने पुराने साथियों के सहारे की सख्त जरूरत है।

भाजपा विराेधी कई नेताओं से मिल चुके हैं चौटाला

इसके लिए चौटाला भाजपा विरोधी दलों के करीब आधा दर्जन नेताओं से मुलाकात कर चुके हैं, जबकि अन्‍य कई  नेताओं से मुलाकात अभी बाकी है।अभय चौटाला भी इस मुहिम को आगे बढ़ाते लगातार ताऊ देवीलाल के पुराने साथियों से संपर्क साध रहे हैं। देश में तीसरे मोर्चे की पेशकश करने वाले चौटाला ने उसका नेतृत्व संभालने के लिए नीतीश कुमार को प्रस्ताव दिया था।

तीसरे मोर्चे में बरकरार रहेगा नेतृत्व का संकट

नीतीश कुमार को दिए गए प्रस्ताव के बाद हालांकि देश, बिहार और हरियाणा की राजनीति में कई उतार-चढ़ाव आए, लेकिन अभय चौटाला को लग रहा है कि बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में भाजपा के विरुद्ध जो महागठबंधन हुआ है, वह देश में तीसरे मोर्चे की शुरुआत है। यह अलग बात है कि तीसरे मोर्चे के नेतृत्व पर जिस तरह ताऊ देवीलाल ने पूर्व में अपने सभी साथियों की सर्वसम्मति बना ली थी, उस तरह की स्थिति फिलहाल उम्रदराज हो चुके ओमप्रकाश चौटाला के सामने नहीं है।

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इस संभावित तीसरे मोर्चे में सबसे बड़ा संकट ही नेतृत्व का है। इनेलो हर साल ताऊ देवीलाल का राज्य स्तरीय जयंती समारोह मनाती है। इस बार अभय चौटाला ने 25 सितंबर को होने वाले इस समारोह के लिए अपने गढ़ फतेहाबाद को चुना है, जिसमें ताऊ देवीलाल व ओमप्रकाश चौटाला के सभी पुराने साथियों को बुलाकर न केवल शक्ति प्रदर्शन किया जाएगा, बल्कि तीसरे मोर्चे का विधिवत ऐलान भी कराया जा सकता है।

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