अठारहवीं लोकसभा के लिए दूसरे चरण का मतदान हो चुका है। जागरण न्यू मीडिया मतदाताओं को जागरूक करने के लिए ‘मेरा पावर वोट- नॉलेज सीरीज’ लेकर आया है। इसमें हमारे जीवन से जुड़े पांच बुनियादी विषयों इकोनॉमी, सेहत, शिक्षा, इन्फ्रास्ट्रक्चर और सुरक्षा पर चर्चा की जाएगी। हमने हर सेगमेंट को चार हिस्से में बांटा है- महिला, युवा, शहरी मध्य वर्ग और किसान। इसका मकसद आपको एंपावर करना है ताकि आप मतदान करने में सही फैसला ले सकें।

आज के अंक में चर्चा इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास और इससे जुड़ी चुनौतियों की। इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में आए आमूल-चूल बदलावों और चुनौतियों को लेकर हमने उद्योग संगठन फिक्की के महासचिव शैलेष पाठक और एनएचएआई के पूर्व सलाह कार वैभव डांगे से बात की।

देश में उल्लेखनीय इन्फ्रास्ट्रक्चर के सवाल पर पाठक ने कि आज हम लोग 2024 में हैं। अगर मुझसे कोई साल 2000 में कहता कि 2024 तक भारत में ढेर सारे एक्सप्रेस वे बन चुकी होंगे, भारत में डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर बन चुका होगा, देश में RRTS बन रही होगी या बुलेट ट्रेन परियोजना शुरू होने वाली होगी, तो मैं विश्वास नहीं करता। लेकिन आज ये सारी मौजूद हैं। पाठक ने कहा कि इन्फ्रास्ट्रक्चर के मामले में सबसे बड़ा बदलाव जो भारत में आया है वह है इन्फ्रा प्रोजेक्ट्स को स्पीड और स्केल के साथ पूरा करना।

इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र के आर्थिक विकास में योगदान के सवाल पर वैभव डांगे ने कहा कि इन्फ्रास्ट्रक्चर किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। बहुत सरल भाषा में कहें तो जैसे हमारे शरीर में रक्त की धमनियाँ होती है, इन्फ्रास्ट्रक्चर वैसे ही हमारी अर्थव्यवस्था की धमनियां होती हैं। धमनियां जितनी सशक्त होती हैं, हमारा शरीर उतनी ही मजबूती से काम करता है। इसीलिए इसे आधारभूत ढांचा कहते हैं। रोड, रेलवे, एविएशन या बंदरगाह से ही सारा सामान ट्रांसपोर्ट होता है, यह सब अच्छे इन्फ्रास्ट्रक्चर पर ही निर्भर है। हमारा इन्फ्रास्ट्रक्चर जितना मजबूत होगा, हमारी अर्थव्यवस्था भी उतना ही मजबूत होगी।

डांगे ने कहा कि इन्फ्रास्ट्रक्चर का एक दूसरा सबसे बड़ा एडवांटेज ये है कि इस पर खर्च होने वाला सारा पैसा कैपिटल एक्सपेंडिचर में खर्च होता है और उसका cascading effect होता है। यह हमारी अर्थव्यवस्था को गति देने का काम करता है। इसलिए दुनियाभर में जब भी अर्थव्यवस्थाएं कठिन दौर से गुजरती हैं तो सारे अर्थशास्त्री सबसे पहले उस देश की सरकार को कहते हैं की आप अपने infrastructure में निवेश करिए।

डांगे ने कहा कि हमारे देश में पिछले दस साल में तो हमने बहुत तेजी से infrastructure में परिवर्तन देखा है। पहले, देश में रोजाना लगभग 10-11 किमी हाईवे बन रहा था। आज 35 किमी हाईवे रोज बन रहा है। 2014 से पहले देशमें लगभग 76 एयरपोर्ट थे। आज हमारे यहां डेढ़ सौ के आस पास एयरपोर्ट बन गए हैं। हमारे बंदरगाहों की क्षमता कई गुना बढ़ गई है। एक बहुत यूनिक परिवर्तन जो पिछले दस साल में आया है, वह है waterways पर फोकस करना। आज गंगा में बनारस से सामान के सीधा हल्दिया और वहां से बांग्लादेश तक जाता है। ये इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह ट्रांसपोर्ट का सबसे सस्ता माध्यम है।

पाठक ने कहा, एक पुरानी कहावत है कि “Where there is a will, there is a way, where there is no will, there is a survey”, तो हमारे यहां survey ही होते रहते थे। काम पूरे नहीं होते थे। आज हमारे यहां काम हो रहे हैं और वो भी स्पीड और स्केल के साथ। उदाहरण के लिए, मुंबई के ट्रांस हार्बर लिंक की बात 1965 से हो रही थी, लेकिन वह अब बना।

डांगे ने कहा कि हमारे देश में जिस तरह से इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास हो रहा है, उससे अर्थव्यवस्था के अन्य पहलुओं जैसे कि निवेश, रोजगार, क्रय शक्ति सबको मदद मिलेगी। अब तो देश में बहुत स्वस्थ प्रतियोगिता चल रही है। अब आप देखेंगे कई राज्य सरकारें कहती हैं कि हमारे राज्य में सबसे ज्यादा expressway हैं। कोई दूसरा राज्य कहता हम चार नए expressway बना रहे हैं। ये और अच्छी बात है। मुझे लगता है इस तरह से देश निश्चित रूप से आगे जाएगा।

पाठक ने कहा कि इकोनॉमिक्स में कहा जाता है, इन्फ्रास्ट्रक्चर की positive externalities होती है और इसका multiplier बहुत जबरदस्त होता है। आप एक रुपया इन्फ्रास्ट्रक्चर में लगाइएगा तो साढ़े तीन रुपये का फायदा मिलेगा। जिस तरह से इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश हुआ है, उससे आप सोच सकते हैं आने वाले बीस साल में कितने मौके बनने वाले हैं।