देश में तेजी से MSME का हो रहा विस्तार, दोगुनी रफ्तार से बढ़ रहा माइक्रो यूनिट
वित्त वर्ष 2021-22 में स्मॉल से मीडियम बनने वाली यूनिट की संख्या 3699 थी जो चालू वित्त वर्ष में छह मार्च तक 6474 तक पहुंच गई। मुख्य रूप से महाराष्ट्र गुजरात दिल्ली तमिलनाडु व कर्नाटक स्थित स्मॉल यूनिटों ने मीडियम श्रेणी में छलांग लगाई है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कोरोना महामारी और वैश्विक अस्थिरता जैसी चुनौतियों के बावजूद माइक्रो, स्मॉल व मीडियम इंटरप्राइजेज (MSME) का विस्तार तेजी से हो रहा है। वित्त मंत्रालय की मासिक रिपोर्ट के आंकड़ों के मुताबिक पिछले एक साल में माइक्रो से स्मॉल की श्रेणी में आने वाली यूनिट की संख्या में 100 फीसद से अधिक की बढ़ोतरी दर्ज की गई। वहीं, स्मॉल यूनिट से मीडियम यूनिट की श्रेणी में छलांग लगाने वाली यूनिट की संख्या में भी पिछले एक साल में 75 फीसद का इजाफा रहा।
माइक्रो से स्मॉल बनने वाली यूनिट में अधिकतर यूनिट कम विकसित राज्यों की
मंत्रालय के मुताबिक पिछले वित्त वर्ष 2021-22 में माइक्रो से स्मॉल यूनिट की श्रेणी में छलांग लगाने वाली यूनिटों की संख्या 28,881 थी जो चालू वित्त वर्ष 2022-23 में गत छह मार्च तक 65,140 तक पहुंच गई। मंत्रालय के मुताबिक माइक्रो से स्मॉल बनने वाली यूनिट में अधिकतर यूनिट कम विकसित राज्यों की है। इन राज्यों में बिहार, असम, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश व उड़ीसा प्रमुख रूप से शामिल है।
मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में एमएसएमई का विस्तार से बढ़ेगा रोजगार
वैसे ही, वित्त वर्ष 2021-22 में स्मॉल से मीडियम बनने वाली यूनिट की संख्या 3699 थी जो चालू वित्त वर्ष में छह मार्च तक 6474 तक पहुंच गई। मुख्य रूप से महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, तमिलनाडु व कर्नाटक स्थित स्मॉल यूनिटों ने मीडियम श्रेणी में छलांग लगाई है।
चालू वित्त वर्ष में माइक्रो से स्मॉल बनने वाली 53 फीसद यूनिट मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की है। मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में एमएसएमई का विस्तार होने से रोजगार सृजन में बढ़ोतरी होगी। मंत्रालय ने यह आंकड़ा एमएसएमई मंत्रालय के उद्यम पोर्टल से लिया है।
पोर्टल पर एमएसएमई की श्रेणी तय की जाती है
एमएसएमई के पंजीयन के लिए मंत्रालय ने उद्यम पोर्टल लांच किया था और इस पोर्टल पर पंजीकृत होने वाले एमएसएमई को स्थायी रूप से उद्यम पंजीयन संख्या आवंटित की जाती है। उद्यम पोर्टल इनकम टैक्स विभाग और जीएसटी नेटवर्क से पंजीकृत उद्यमियों के आंकड़ों को एकत्र करता है।
इन आंकड़ों के आधार पर पोर्टल पर एमएसएमई की श्रेणी तय की जाती है कि कौन की यूनिट किस श्रेणी में हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक पहले यह धारणा थी कि माइक्रो यूनिट खुद को स्मॉल की श्रेणी में नहीं ले जाना चाहती है, लेकिन उद्यम पोर्टल के आंकड़े इस धारणा को गलत साबित कर रहे हैं।
एमएसएमई का वर्गीकरण
माइक्रो प्लांट व मशीनरी में एक करोड़ से अधिक का निवेश नहीं होना चाहिए और सालाना टर्नओवर पांच करोड़ से अधिक नहीं होना चाहिए
स्मॉलप्लांट व मशीनरी में 10 करोड़ से अधिक का निवेश नहीं होना चाहिए और सालाना टर्नओवर 50 करोड़ से अधिक का नहीं होना चाहिए
मीडियमप्लांट व मशीनरी में 50 करोड़ से अधिक का निवेश नहीं होना चाहिए औऱ सालाना टर्नओवर 250 करोड़ रुपए से अधिक नहीं होना चाहिए।