Move to Jagran APP

Forex Reserves Journey: 1991 में क्यों गिरवी रखना पड़ा देश का सोना, क्या था विदेशी मुद्रा का वो अभूतपूर्व संकट

Indias Forex Reserves Journey 1991 में राजकोषीय घाटा बढ़ने के कारण देश के सामने विदेशी मुद्रा भंडार का अभूतपूर्व संकट खड़ा हो गया था। भारत कैसे इस स्थिति से उबरा। आइए जानते हैं अपनी रिपोर्ट में...(जागरण फाइल फोटो)

By Abhinav ShalyaEdited By: Abhinav ShalyaPublished: Tue, 21 Mar 2023 09:00 PM (IST)Updated: Tue, 21 Mar 2023 09:00 PM (IST)
Forex Reserves Journey: 1991 में क्यों गिरवी रखना पड़ा देश का सोना, क्या था विदेशी मुद्रा का वो अभूतपूर्व संकट
India's Forex Reserves Journey from pledging of Indian gold to half trillion

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर से जारी किए गए ताजा आंकड़ों के मुताबिक, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 10 मार्च को 560 अरब डॉलर का था, लेकिन हमेशा से स्थिति ऐसी नहीं थी। आपको जानकार ये हैरानी होगी कि 1990 में एक समय ऐसा आया था, जब भारत के पास केवल दो हफ्तों के आयात का पैसा शेष रह गया था।

loksabha election banner

राजकोषीय घाटा 

1970 के दशक में तेल संकट और बड़ी मात्रा में सरकार की ओर से कृषि सब्सिडी देने के कारण राजकोषीय घाटा 1990-91 में 8.4 प्रतिशत तक पहुंच गया था। इससे देश के भुगतान संतुलन (Balance of Payment) की स्थिति तेजी से बिगड़ती चली गई। इस कारण मार्च 1991 तक देश के पास केवल 5.8 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार था, जबकि देश पर करीब 70 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज था।

ये वही समय था, जब देश राजनीतिक उथल पुथल का भी सामना कर रहा था। केवल तीन सालों में तीन प्रधानमंत्री बदले थे।

सोने गिरवी रख बढ़ाया विदेशी मुद्रा भंडार

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार बेशक कम था, लेकिन सोने पर्याप्त मात्रा में मौजूद था। इस कारण नीति निर्माताओं ने सोना गिरवी रखने का फैसला किया। सरकार की सहमति के बाद चार अलग-अलग किस्तों में 400 मिलियन डॉलर के लिए 47 टन सोने को विदेश भेजा गया। हालांकि, इसके लिए हुए करार में सोना दोबारा खरीदने के प्रावधान को भी जोड़ा गया था।

इस पूरे ऑपरेशन को गोपनीय रखा गया, क्योंकि भारत में सोने के साथ लोगों का अलग ही जुड़ाव है और सोना गिरवी रखने का संदेश बाहर जाते ही पब्लिक में पैनिक फैलने की आशंका थी।

नरसिम्हा राव सरकार ने शुरू किया उदारीकरण

1991 में सरकार बदली और पीवी नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री चुना गया। नरसिम्हा सरकार ने अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण को लागू किया। इसके साथ विदेशी निवेशकों के लिए अर्थव्यवस्था के दरवाजे खोल दिए। इससे भारत में विदेशी निवेश आना शुरू हुआ। भारत ने गिरवी रखे सोने को भी छुड़ा लिया।

 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.