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President Election 2022: मायावती के फैसले और झारखंड सीएम हेमंत सोरेन के पैंतरे से ढीला पड़ा तेजस्वी यादव का हौसला

राष्ट्रपति चुनान में बिहारी अस्मिता के नाम पर यशवंत सिन्हा के लिए न तो उल्लास और न ही इसके लिए बेचैनी दिख रही है। द्रौपदी मुर्मू के समर्थन मायावती के खड़े होने और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की दुविधा ने तेजस्वी के हौसले को कमजोर किया है।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Sun, 26 Jun 2022 07:46 PM (IST)Updated: Sun, 26 Jun 2022 07:46 PM (IST)
President Election 2022: मायावती के फैसले और झारखंड सीएम हेमंत सोरेन के पैंतरे से ढीला पड़ा तेजस्वी यादव का हौसला
बिहार सीएम नीतीश कुमार, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, बिहार में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और मायावती। जागरण आर्काइव।

अरविंद शर्मा, पटना : राष्ट्रपति चुनाव को लेकर बिहार का राजनीतिक माहौल पिछली बार की तुलना में कुछ बदला-बदला सा है। विशेषकर विपक्ष में बिहारी अस्मिता के नाम पर यशवंत सिन्हा के लिए न तो उल्लास और न ही इसके लिए बेचैनी दिख रही है कि नीतीश कुमार ने एक गैर बिहारी को समर्थन क्यों दिया है। पिछली बार ऐसा नहीं था। संयुक्त विपक्ष की राष्ट्रपति प्रत्याशी मीरा कुमार को लेकर राजद काफी उत्साह दिखा रहा था। प्रत्याशी चयन से लेकर प्रचार तक में कांग्रेस के साथ लालू प्रसाद एवं तेजस्वी यादव की बड़ी भूमिका थी। लालू प्रसाद ने कई बार नीतीश कुमार से बिहारी प्रत्याशी के नाम पर मीरा कुमार के लिए सार्वजनिक तौर पर समर्थन भी मांगा था, मगर इस बार राजद में वैसा उत्साह नहीं दिख रहा।

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लोगों को आश्चर्य है कि ऐसा क्यों हो रहा है। दरअसल, राजग प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू के समर्थन में बसपा प्रमुख मायावती के खड़े होने और आदिवासी राजनीति के पैरोकार झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की दुविधा ने तेजस्वी के हौसले को भी काफी हद तक कमजोर किया है। द्रौपदी मुर्मू के राजग प्रत्याशी बनने से पहले राजद भी अति सक्रिय था। विपक्षी दलों की संयुक्त बैठक में भी भागीदारी थी। यहां तक कि यशवंत सिन्हा के नाम आने पर बिहारी अस्मिता के नाम पर तेजस्वी ने नीतीश कुमार पर समर्थन का दबाव बनाया था, लेकिन अब चुप्पी है। स्पष्ट है कि द्रौपदी मुर्मू के महिला और आदिवासी होने के चलते राजद की दुविधा बढ़ गई है। मायावती ने द्रौपदी को खुला समर्थन देकर तेजस्वी की इस दुविधा को और बढ़ा दिया है।

उगलते-निगलते नहीं बन रहा

हालांकि इतना स्पष्ट है कि राजद विपक्ष का साथ छोड़ने नहीं जा रहा है। वह हर हाल में यशवंत सिन्हा के पक्ष में वोट करेगा। फिर भी दलित-पिछड़े के नाम पर राजनीति करने वाले लालू प्रसाद के उत्तराधिकारी के सामने द्रौपदी मुर्मू के नाम पर धर्मसंकट तो है ही। समर्थन का तो सवाल ही नहीं है, लेकिन विरोध का रास्ता भी नहीं दिख रहा है। लिहाजा मध्य-मार्ग का सहारा लिया जा रहा है। इसके पहले तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार को भी राष्ट्रपति चुनाव में उतरने की सलाह दी थी और कहा था कि अगर वह प्रत्याशी बनते हैं तो बिहारी प्रत्याशी के नाम पर राजद उनका समर्थन करेगा। अब यशवंत सिन्हा के साथ बिहारी अस्मिता का भी ठप्पा है। फिर भी उगलते-निगलते नहीं बन रहा है।

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