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ब्रिटेन में जल्‍द शुरू होगा कोरोना का वैक्‍सीनेशन प्रोग्राम, सरकार ने दी इजाजत, जानें- क्‍या है रोडमैप

ब्रिटेन ने फाइजर और बायोएनटेक की बनाई कोरोना वैक्‍सीन के उपयोग की इजाजत दे दी है। इसके लिए रोडमैप भी काफी हद तक तैयार कर लिया गया है। प्राथमिकता के आधार पर इस वैक्‍सीन को लोगों को दिया जाएगा।

By Kamal VermaEdited By: Published: Thu, 03 Dec 2020 08:31 AM (IST)Updated: Fri, 04 Dec 2020 07:57 AM (IST)
ब्रिटेन में जल्‍द शुरू होगा कोरोना का वैक्‍सीनेशन प्रोग्राम, सरकार ने दी इजाजत, जानें- क्‍या है रोडमैप
ब्रिटेन में जल्‍द शुरू हो जाएगा कोरोना का वैक्‍सीनेशन प्रोग्राम (फाइल फोटो)

लंदन (एपी)। ब्रिटेन ऐसा पहला देश बन गया है जिसने कोविड-19 के लिए विकसित होने वाली वैक्‍सीन के प्रयोगात्‍मक उपयोग की इजाजत दी है। इस वैक्‍सीन को अमेरिकी दवा कंपनी फाइजर और जर्मनी की कंपनी बायोएनटेक ने विकसित किया है। इन दोनों ही कंपनियों का विश्‍व के दूसरे देशों से भी वैक्‍सीन विकसित करने को लेकर करार हुआ है। ब्रिटेन से आई इस खबर को पूरी दुनिया के लिए भी बड़ी राहत भरी नजरों से देखा जा रहा है।

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दुनिया में सातवें नंबर पर ब्रिटेन

आपको बता दें कि कोरोना वायरस के संक्रमण के मामलों में ब्रिटेन पूरी दुनिया में सातवें नंबर पर है। मौजूदा समय में यहां पर कोरोना के 1,659,256 मामले सामने आ चुके हैं जबकि 59,699 मरीजों की इससे मौत भी हो चुकी है। वहीं 344 मरीज ठीक भी हुए हैं। आंकड़े इस बात की भी तसदीक देते हैं कि ब्रिटेन में इस वायरस से मरने वालों का आंकड़ा जहां ऊपर है, वहीं इससे ठीक होने वालों की गिनती बेहद कम है। ऐसे में फाइजर और बायोएनटेक की वैक्‍सीन को इजाजत मिलना ब्रिटेन के लिए तो राहत भरी बात है ही।

95 फीसद तक कारगर है  फाइजर और बायोएनटेक की वैक्‍सीन 

आपको बता दें कि फाइजर और बायोएनटेक की जिस वैक्‍सीन को एक्‍सपेरिमेंटल यूज के तहत इजाजत मिली है उसे ट्रायल के दौरान 95 फीसद तक कारगर पाया गया है। अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर दवाओं के कारगर होने की बात करें तो यदि कोई वैक्‍सीन 50-60 फीसद तक भी कारगर साबित होती है तो उसको उपयोग की इजाजत दे दी जाती है। ऐसे में इस कंपनी की वैक्‍सीन इससे कहीं आगे है। हालांकि ब्रिटेन की सरकार के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती इसको उपलब्‍ध करवाना और इसको देशवासियों को उपलब्‍ध करवाने के लिए रोडमैप तैयार करने की है। ब्रिटेन में बीते कई दशकों में ये पहला सबसे बड़ा इम्‍यूनाइजेशन प्रोग्राम होने वाला है। लिहाजा इसके लिए रोडमैप जरूरी होगा।

सरकार ने खींचा खाका 

सरकार ने इसके लिए जो शुरुआती खाक खींचा है उसके मुताबिक इस वैक्‍सीन की 4 करोड़ खुराक के ऑर्डर दे दिए गए हैं। ये खुराक 2 करोड़ लोगों को दी जा सकेगी। इसकी वजह ये है कि इसकी हर व्‍यक्ति को दो खुराक देनी होंगी। करीब 21 दिनों के अंतराल में ये खुराक दी जाएंगी। सरकार ने इसके लिए जो रोडमैप तैयार किया है उसके मुताबिक इस वैक्‍सीन को 16 वर्ष की आयु से अधिक के व्‍यक्ति को दिया जाएगा। इसका सीधा सा अर्थ एक ये भी है कि हर किसी को इस वैक्‍सीन को उपलब्‍ध करवाने के लिए 5 करोड़ खुराक से कुछ अधिक की और जरूरत होगी।

कुछ दिनों में मिलेगा वैक्‍सीन का पहला बैच 

रोडमैप के मुताबिक अगले कुछ दिनों में बेल्जियम से इस वैक्‍सीन का पहला बैच ब्रिटेन पहुंच जाएगा। ब्रिटेन के स्‍वास्‍थ्‍य सचिव के मुताबिक अगले सप्‍ताह इसकी 8 लाख खुराक देश में पहुंच जाएंगी। इसके अगले सप्‍ताह में और लाखों खुराक कंपनी द्वारा उपलब्‍ध करवा दी जाएंगी। आपको यहां ये भी बताना जरूरी है कि कंपनी की इस वैक्‍सीन को सुरक्षित बनाए रखने के लिए इसको 70 डिग्री सेल्सियस के तापमान में रखना होगा। लिहाजा इसका रखरखाव भी कम चुनौतीपूर्ण नहीं होगा। हालांकि एजेंसी ने अपनी खबर में ये भ कहा है कि इस वैक्‍सीन को कुछ दिनों के लिए सामान्‍य फ्रिज के तापमान 2-8 डिग्री के बीच भी रखा जा सकेगा। इसका अर्थ सीधेतौर पर ये है कि इसको प्रशासन द्वारा उपलब्‍ध करवाए गए स्‍टोर में रखा जा सकेगा। इसको लगाने की प्रक्रिया का जिम्‍मा नेशनल हेल्‍थ सर्विस को दिया गया है। यही तय करेगा कि वैक्‍सीन को कब और किसको दिया जाएगा।

कितना समय लगेगा?

इस वैक्‍सीनेशन प्रोग्राम में कुछ सप्‍ताह से कुछ महीने तक लग सकते हैं। इसकी एक बड़ी वजह ये है कि ब्रिटेन के लिए केवल फाइजर और बायोएनटेक की ही वैक्‍सीन पूरी नहीं पड़ने वाली है। लिहाजा उसको दूसरी वैक्‍सीन की भी जरूरत होगी। इसके लिए दो अन्‍य नामों पर भी विचार किया गया है। इसमें पहली अमेरिकी कंपनी बायोएनटेक मार्डना की वैक्‍सीन है जिसकी कारगर क्षमता फाइजर के समान ही है। इसके अलावा ऑक्‍सफॉर्ड और ब्रिटिश कंपनी एक्‍सट्राजिनेका द्वारा विकसित की गई वैक्‍सीन पर भी विचार किया जा रहा है। हालांकि इसकी कारगर क्षमता दूसरी वैक्‍सीन के मुकाबले कम है, लेकिन ये दूसरी वैक्‍सीन से सस्‍ती भी है। ब्रिटेन ने इस वैक्‍सीन की एक अरब खुराक खरीदने के लिए करार किया हुआ है। हालांकि इसको पहले चरण में देने का कोई प्रोग्राम अब तक नहीं है।

हर किसी को दी जाएगी ये वैक्‍सीन 

वैक्‍सीन को हर किसी को देने की जरूरत नहीं हे। हालांकि सरकार और पब्लिक हेल्‍थ बॉडीज का कहना है कि इसको सभी को दिया जाना चाहिए। इस वैक्‍सीन को देने के लिए हर किसी का कोविड-19 टेस्‍ट करवाने की भी जरूरत नहीं होगी। वैक्‍सीन को सबसे पहले उन लोगों को दिया जाएगा जिन्‍हें इसकी सबसे अधिक जरूरत होगी। इसके बारे में ज्‍वाइंट कमेटी ऑफ वैक्‍सीनेशन सरकार को सूची जारी करेगा।

इस तरह लोग बनेंगे हिस्‍सा  

इसके मुताबिक कोविड-19 से संक्रमित सबसे ऊपर होंगे जिनकी जान को अधिक खतरा होगा। इसके बाद उम्रदराज लोग इसमें शामिल होंगे, जिनकी उम्र 80 वर्ष से अधिक की होगी। साथ ही हेल्‍थ वर्कर भी इसका हिस्‍सा होंगे और प्राथमिकता के आधार पर ऊपर होंगे। इसके बाद 75 वर्ष से ऊपर के लोगों को इस प्रोग्राम में शामिल किया जाएगा। ब्रिटेन ने इसके लिए सात अलग-अलग ग्रुप बनाए हैं जिनमें अलग-अलग प्राथमिकताओं के आधार लोगों को शामिल किया गया है। रोडमैप के मुताबिक करीब अधिक रिस्‍क वाले करीब 90-99 फीसद लोगों को ये वैक्‍सीन देने का खाका काफी हद तक तैयार किया जा चुका है। इन सभी को पहले चरण में ही वैक्‍सीन दे दी जाएगी।


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