अफ्रीका से यूरोप के लिए आ रही जानलेवा आफत, मौत के डर से सहमे हजारों लोग
गर्म हवाओं से बचने के लिए फ्रांस और जर्मनी के ज्यादातर हिस्सों में जानलेवा चेतावनी जारी की गई है। पारा 47 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने के साथ भीषण उमस की आशंका।
लंदन, एजेंसी। ग्लोबल वार्मिंग और प्रदूषण की वजह से पूरी दुनिया उबल रही है। विश्व भर में लोगों को मौसम के बेतुके मिजाज और गुस्से का सामना करना पड़ रहा है। केवल भारत में ही प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन से भीषण गर्मी और बारिश में अनियमितता देखने को मिल रही है। दुनिया के अन्य देशों में भी लोगों को मौसम की जानलेवा मार का सामना करना पड़ रहा है। यूरोपियन मौसम वैज्ञानिकों ने अब फ्रांस व जर्मनी के लोगों के लिए मौसम की जानलेवा चेतावनी जारी की है।
यूरोपियन मौसम विभाग के अनुसार अफ्रीका के रेगिस्तानी इलाकों से उठ रही गर्म हवाओं की वजह से अगले कुछ दिन तक पूरा यूरोप तपेगा। इस दौरान यूरोप में 47 डिग्री सेल्सियस तक तापमान पहुंचने का अनुमान है। इसे देखते हुए वैज्ञानिकों ने पूरे एरिया में अलर्ट जारी किया है। लोगों को गर्म हवाओं के थपेड़ों से बचने की सलाह जारी की जा रही है। बावजूद अंदेशा जताया गया है का इन गर्म हवाओं के थपेड़ों और पारे में अचानक होने वाली बढ़ोतरी से हजारों लोगों की जान जा सकती है।
FIFA महिला विश्व कप को लेकर खास एहतियात
मालूम हो कि इससे पहले वर्ष 2003 में भी यूरोपियन देशों को ठीक इसी तरह मौसम की मार का सामना करना पड़ा था। इससे फ्रांस में 15,000 और यूरोप में 35,000 लोगों की मौत हो गई थी। उस वक्त पारा 44.1 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था। इसके साथ ही FIFA ने फ्रांस में चल रहे महिला फुटबॉल विश्वकप मैचों के दौरान वाटर ब्रेक की अवधी बढ़ा दी है। मैच के दौरान खिलाड़ियों के लिए कूलिंग ब्रेक भी रखा जाएगा। पारा ज्यादा ऊपर जाने पर मैच रद्द भी किये जा सकते हैं। साथ ही दर्शकों को अपने साथ पानी की बोतल लाने की इजाजत दे दी है। उत्तरी यूरोप के इलाके में मौसम की सबसे ज्यादा मार पड़ने वाली है। इसमें फ्रांस के पेरिस, ला हावरे और नॉर्मेंडी जैसे इलाके शामिल हैं, जहां महिला विश्वकप के मैच आयोजित हो रहे हैं।
स्पेन में Red Alert जारी
स्पेन के मौसम वैज्ञानिकों ने भी मौसम के खराब होते रुख को देखते हुए ट्विटर के जरिए ऑल रेड वेदर वार्निंग मैप (लाल चेतावनी) जारी की है। साथ ही स्पैनिश फोरकॉस्टर्स ने ट्वीट में लिखा है, सहारा से उठने वाली गर्म हवाओं की वजह से पूरे यूरोप के लिए बहुत बुरा दौर आ रहा है (Hell is Coming)। इसकी वजह से ब्रिटेन में भी लोगों को करीब एक सप्ताह तक गर्म हवा के थपेड़े झेलने पड़ सकते हैं। इस दौरान पूरे ब्रिटेन में तापमान 30 डिग्री सेल्सियस तक रहने का अनुमान है। लोगों को रात में भी लू का सामना करना पड़ सकता है।
फ्रांस में अब तक का सबसे गर्म जून
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार अफ्रीका से आने वाली गर्म हवाओं की वजह से यूरोप के ज्यादातर हिस्सों में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा रहेगा। साथ ही ये भी आशंका व्यक्त की गई है कि फ्रांस को अब तक के सबसे गर्म जून का सामना करना पड़ सकता है। इस बार पारा वर्ष 2003 के 44.1 डिग्री सेल्सियस तापमान के रिकॉर्ड को पार कर 47 डिग्री तक पहुंचने की आशंका व्यक्त की गई है। इसलिए माना जा रहा है कि इस पर लू के थपेड़ों से यूरोपीय देशों में 2003 के मुकाबले ज्यादा मौतें हो सकती हैं।
वाहन चालकों के लिए स्पीट लिमिट तय
गर्मी बढ़ने के साथ नॉर्थ-ईस्ट जर्मनी में जंगल की आग लगने का खतरा भी बढ़ गया है। इसे देखते हुए स्थानीय एजेंसियों को भी सतर्क कर दिया गया है। एजेंसियों को जंगल में अब तक की सबसे भयंकर और विकराल आग से निपटने को मुस्तैद रहने के निर्देश जारी किए गए हैं। इसके साथ ही पश्चिमी बर्लिन में वाहन चालकों के लिए 60 माइल प्रति घंटे की रफ्तार निर्धारित कर दी गई है। ऐसा इसलिए, क्योंकि मौसम वैज्ञानिकों ने गर्मी की वजह से सड़क पर दरार पड़ने की आशंका व्यक्त की है। इससे गंभीर सड़क दुर्घटनाएं हो सकती हैं। वर्ष 2015 में भी वेस्ट बर्लिन में भीषण गर्मी की वजह से सड़कों में दरार पड़ने के मामले सामने आ चुके हैं।
पूल और फव्वारों को आम लोगों के लिए खोला गया
भीषण गर्मी की चेतावनी को देखते हुए यूरोप में पूल और फव्वारों को आम लोगों के लिए खोल दिया गया है। भीषण गर्मी से जूझ रहे लोगों को राहत प्रदान करने के लिए इन पूल और फव्वारों में पानी भर दिया गया है, ताकि गर्मी से परेशान लोग इनमें राहत की डुबकी लगा सकें। इतना ही नहीं शिक्षा मंत्री जीन माइकल ने गुरुवार व शुक्रवार से शुरू होकर अगले सप्ताह तक चलने वाली स्कूली परीक्षाओं को भी टालने के निर्देश दे दिए हैं। उन्होंने कहा है कि ये फैसला लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है।
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