विजय माल्या के प्रत्यर्पण पर आए फैसले ने राकेश अस्थाना को मुस्कुराने का मौका दिया
ब्रिटेन की जज ने कहा, अस्थाना ने भ्रष्ट तरीके से काम नहीं किया। ब्रिटेन की अदालत की यह टिप्पणी राकेश अस्थाना के लिए बहुत मायने रखती है।
लंदन, प्रेट्र। शराब कारोबारी विजय माल्या के प्रत्यर्पण पर आए ब्रिटेन की अदालत के फैसले ने भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते काम से हटाए गए सीबीआइ के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना को मुस्कुराने का मौका दे दिया है। विजय माल्या के प्रत्यर्पण का आदेश देने वाली ब्रिटिश अदालत ने कहा कि इस मामले में अस्थाना ने 'भ्रष्ट' तरीके से काम नहीं किया, जैसा कि शराब कारोबारी के बचाव दल ने आरोप लगाया था।
ब्रिटेन की जज ने कहा, अस्थाना ने भ्रष्ट तरीके से काम नहीं किया
दरअसल, वर्ष 2016 में विजय माल्या के ब्रिटेन भाग जाने के बाद गठित एसआइटी का प्रमुख राकेश अस्थाना को ही बनाया गया था। 1984 बैच के गुजरात कैडर के आइपीएस अधिकारी अस्थाना ने ब्रिटेन से माल्या को वापस लाने के लिए गंभीर प्रयास किए थे।
मामले की सुनवाई के दौरान माल्या की बचाव टीम ने प्रोफेसर लारेंस साएज को अपने गवाह के रूप में पेश किया था, जिसने अस्थाना के चरित्र और पेशेवर सत्यनिष्ठा पर गंभीर आरोप लगाए थे। उन पर भ्रष्ट तरीके से काम करने के आरोप भी लगाए थे।
लेकिन वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट की चीफ मजिस्ट्रेट जज एम्मा अर्बुथॉट ने माल्या के प्रत्यर्पण पर सुनाए अपने फैसले में साफ कहा कि अस्थाना ने इस मामले में किसी तरह का भ्रष्टाचार नहीं किया। गवाह साएज अपने आरोपों के पक्ष में कोई ठोस सुबूत नहीं दे सका। जज ने यह भी कहा कि जिरह के दौरान गवाह ने कहा था कि उसने अस्थाना को लेकर कोई सवाल नहीं उठाए थे, बल्कि उसका आशय सीबीआइ की स्वतंत्रता से था। जज ने कहा कि बचाव पक्ष ने अस्थाना पर इसलिए भी आरोप लगाए थे ताकि वह अदालत को यह समझा सके कि
अभियोजक भ्रष्ट और राजनीतिक से प्रेरित है। लेकिन जज ने कहा कि उन्हें अभियोजक के भ्रष्ट या राजनीति से प्रेरित होने के कोई सुबूत नहीं मिले।
ब्रिटेन की अदालत की यह टिप्पणी राकेश अस्थाना के लिए बहुत मायने रखती है, क्योंकि भारत में वह भ्रष्टाचार के कई आरोपों का सामना कर रहे हैं। भ्रष्टाचार को लेकर सीबीआइ निदेशक आलोक वर्मा के साथ छिड़ी लड़ाई में उनकी छवि तार-तार हो गई है। पिछले महीने सीबीआइ ने अस्थाना के खिलाफ केस दर्ज किया था, जिसके बाद उन्हें कार्यमुक्त कर दिया गया है। उन पर हैदराबाद के कारोबारी सतीश सना को बचाने के लिए घूस लेने का आरोप भी लगा है।