असांजे मामले में स्वीडन का साथ देने की ब्रिटिश सांसदों की अपील, सरकार को लिखा पत्र
ब्रिटेन के 70 से ज्यादा सांसदों ने ब्रिटिश सरकार से अनुरोध किया है कि विकिलीक्स के संस्थापक जूलियन असांजे के प्रत्यर्पण मामले में स्वीडन की अर्जी को प्राथमिकता दी जाए।
लंदन, एएफपी। ब्रिटेन 70 से ज्यादा सांसदों ने सरकार से अनुरोध किया है कि विकिलीक्स के संस्थापक जूलियन असांजे के प्रत्यर्पण मामले में स्वीडन की अर्जी को प्राथमिकता दी जाए। असांजे के प्रत्यर्पण के लिए अमेरिका ने भी ब्रिटेन को अर्जी दे रखी है। असांजे को गुरुवार को जमानत की शर्त तोड़ने के आरोप में लंदन स्थित इक्वाडोर के दूतावास से गिरफ्तार किया गया था।
स्वीडन में दर्ज यौन उत्पीड़न और दुष्कर्म के मामले में गिरफ्तारी से बचने के लिए असांजे ने सन 2012 से लंदन स्थित इक्वाडोर के दूतावास में शरण ले रखी थी। प्रत्यर्पण मामले में उसे ब्रिटेन की अदालत से जमानत मिली हुई थी। असांजे ने स्वीडन में कोई यौन अपराध करने से इन्कार किया है। लेकिन अमेरिका में उस पर गोपनीय दस्तावेजों को हथिया कर उन्हें सार्वजनिक करने का आरोप है। यह मामले देशद्रोह का भी हो सकता है जिससे उसके राष्ट्रीय हित प्रभावित हुए। अमेरिका ने इसी सिलसिले में दर्ज मुकदमों के सिलसिले में असांजे के प्रत्यर्पण की मांग की है।
सांसदों ने गृह सचिव साजिद जावीद को लिखे पत्र में कहा है कि स्वीडन को जांच में हर संभव सहयोग दिया जाए। मामले में गृह सचिव को अधिकार है कि वह किसकी प्रत्यर्पण की अर्जी को प्राथमिकता दें। सांसदों ने लिखा है कि हमें संसद देना चाहिए कि ब्रिटेन यौन अपराधों के प्रति ज्यादा गंभीर है और वह ऐसे किसी मामले के आरोपित को पहले सजा दिलवाना चाहता है। वैसे असांजे जिस यौन उत्पीड़न और दुष्कर्म मामले में आरोपी है वह मामला स्वीडन में खत्म हो चुका है लेकिन पीडि़ता ने उसकी दोबारा जांच की मांग की है। सांसदों ने अपने पत्र में पीडि़ता का साथ देने की मांग की है।
असांजे का सहयोगी भी गिरफ्तार
विकिलीक्स में काम कर चुके स्वीडिश प्रोग्रामर ओला बिनी (36) को इक्वाडोर की राजधानी क्यूइटो के हवाई अड्डे से गिरफ्तार किया गया है। बिनी पर इक्वाडोर के राष्ट्रपति को ब्लैकमेल करने के लिए साजिश रचने का आरोप है। इक्वाडोर के जूलियन असांजे से पल्ला झाड़ लेने के कदम से चिढ़कर यह साजिश रची जा रही थी। इक्वाडोर ने असांजे को अपनी नागरिकता देकर 2012 से उसे लंदन स्थित अपने दूतावास में शरण दे रखी थी।