...तो 26 साल बाद ब्रिटेन से प्रत्यर्पित होने वाले विजय माल्या दूसरे शख्स होंगे
ब्रिटेन की एक अदालत ने भारतीय प्रशासन से माल्या के प्रत्यर्पण के बाद उसे रखे जाने वाले मुंबई के आर्थर रोड जेल की बैरक नंबर 12 का तीन हफ्ते में वीडियो मांगा है।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। ब्रिटेन की एक अदालत ने भारतीय प्रशासन से माल्या के प्रत्यर्पण के बाद उसे रखे जाने वाले मुंबई के आर्थर रोड जेल की बैरक नंबर 12 का तीन हफ्ते में वीडियो मांगा है। अदालत के इस रुख से भारत के इस भगोड़े कारोबारी के प्रत्यर्पण का रास्ता साफ होता दिख रहा है। अगर ऐसा होता है तो 26 साल बाद ब्रिटेन से प्रत्यर्पित होने वाला यह दूसरा शख्स होगा।
भारत-ब्रिटेन प्रत्यर्पण संधि: साल 1992 में भारत और ब्रिटेन ने प्रत्यर्पण संधि पर हस्ताक्षर किए थे। 26 साल पहले हुई संधि के बाद यूके ने सिर्फ एक ही भगोड़े समीरभाई वीनूभाई पटेल को भारत के सुपुर्द किया है। वह 2002 में हुए गुजरात दंगों का आरोपी था। अक्टूबर, 2006 में इसे भारत को सौंपा गया।
भगोड़ों का घर बना ब्रिटेन
मानवाधिकारों सहित तमाम लोकतांत्रिक अधिकारों और सहूलियतों के चलते ब्रिटेन दुनिया भर के भगोड़ों की पहली पसंद बना हुआ है। अपराधों में वांछित कई भारतीयों ने भी उसे अपना ठिकाना बनाया हुआ है। ऐसे में माल्या के प्रत्यर्पण के बाद उनके आने की राह भी आसान हो सकती है।
रेमंड वर्ले: ब्रिटेन का नागरिक रेमंड 1989-91 के दौरान गोवा में बाल यौन शोषण का आरोपी है। भारत ने उसके प्रत्यर्पण की अनुमति मांगी थी, जिसे ब्रिटेन ने नकार दिया।
टाइगर हनीफ (मोहम्मद हनीफ उमरजी पटेल): साल 1993 में गुजरात बम धमाके का आरोपी है। दो बम धमाकों में दाऊद के इस गुर्गे हाथ था। इन धमाकों में एक स्कूली बच्ची की मौत हो गई थी।
नदीम सैफी: 1997 में म्यूजिक कंपनी टी सीरीज के मालिक गुलशन कुमार की हत्या का आरोप। हालांकि ब्रिटिश सरकार इसे भारत को सौंपने को कभी तैयार नहीं हुई।
रवि शंकरन: इस भगोड़े पर साल 2005 में नेवी वॉर रूम से जानकारी लीक करने का आरोप है। भारतीय वायु सेना के खुफिया अधिकारियों को एक पेनड्राइव मिली थी, जिसमें भारत की समुद्री तैयारी और अगले 20 सालों के लिए योजनाओं से संबंधित दस्तावेजों की जानकारी थी।
ललित मोदी: 2018 में विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) सहित विभिन्न कानूनों के तहत वित्तीय अनियमितताओं के आरोप में भारत सरकार को इनकी तलाश है। हालांकि ब्रिटिश सरकार इसे भारत को सुपर्द करने से इंकार कर चुकी है।