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राइजिंग इंडिया के साथ आने में पिछड़ रहा ब्रिटेन: संसदीय रिपोर्ट

ब्रिटिश संसद की एक रिपोर्ट के अनुसार राइजिंग इंडिया के अनुसार अपनी रणनीति बनाने में असफल ब्रिटेन इसके साथ आने में पिछड़ गया है।

By Monika MinalEdited By: Published: Mon, 24 Jun 2019 04:34 PM (IST)Updated: Mon, 24 Jun 2019 04:46 PM (IST)
राइजिंग इंडिया के साथ आने में पिछड़ रहा ब्रिटेन: संसदीय रिपोर्ट
राइजिंग इंडिया के साथ आने में पिछड़ रहा ब्रिटेन: संसदीय रिपोर्ट

नई दिल्‍ली (प्रेट्र)। भारत के साथ आने की वैश्‍विक होड़ में ब्रिटेन पीछे हो रहा है क्‍योंकि दुनिया के मंच पर भारत के बढ़ती ताकत और प्रभाव के अनुसार अपनी रणनीति बनाने में असफल है। यह बात नए ब्रिटिश संसदीय जांच रिपोर्ट में सोमवार को सामने आयी है। ब्रिटेन-भारत सप्ताह 2019 के मौके पर ब्रिटिश संसद में पहले ‘भारत दिवस’ के अवसर पर ‘बिल्डिंग ब्रिजेज : रीअवेकनिंग यूके-इंडिया टाइज’ नाम से यह रिपोर्ट आयी है।

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इस सप्‍ताह के जरिए भारतीय पर्यटकों, छात्रों और पेशेवरों के लिए बेहतर वीजा और आव्रजन नीति बनाकर दोनों देशों के बीच संबंधों में सुधार लाने का प्रयास है। रिपोर्ट में ब्रिटेन पर आरोप लगाया गया है कि वह द्विपक्षीय संबंधों के अवसर गंवा रहा है।

संसदीय रिपोर्ट में कहा गया है, ‘राइजिंग इंडिया के साथ बेहतर संबंधों की वैश्विक दौड़ में ब्रिटेन पिछड़ रहा है। भारत के साथ ब्रिटिश संबंधों की हालिया कहानी गंवाए गए अवसर की गाथा है।’ उसमें कहा गया है, ‘भारत के साथ संबंधों में बेहतरी के लिए सरकार को कुछ ठोस कदम उठाने होंगे, खास तौर से उसे भारतीयों के लिए ब्रिटेन की यात्रा, यहां काम करना और पढ़ाई करना आसान बनाना होगा।’ वीजा के मामले में, रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन जैस गैर-लोकतांत्रिक देश के मुकाबले भारत को ज्यादा कड़े नियमों का पालन करना पड़ता है।

संसदीय रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसी आव्रजन नीतियों के पक्ष में कोई तर्क नहीं दिया जा सकता है जिनके कारण भारतीय छात्रों और पर्यटकों का आकर्षण देश के प्रति खत्म हो रहा है। संसदीय रिपोर्ट में हालांकि यह माना गया है कि सभी लिहाज से ब्रिटेन इस द्विपक्षीय संबंध से लाभ लेने की स्थिति में है लेकिन उसने चेतावनी भी दी है कि दोनों देशों अपनी पूर्ण क्षमताओं का प्रयोग इसलिए नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि नयी दिल्ली को सही संदेश नहीं पहुंच रहा है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसे में जब ब्रिटेन यूरोपीय संघ छोड़ने की तैयारियां कर रहा है, अब संबंधों में सुधार का वक्त आ गया है। हम आधुनिक साझेदारी के लिए ऐतिहासिक संबंधों पर भरोसा नहीं कर सकते हैं।

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