ब्रिटेन में टीपू सुल्तान की दुर्लभ बंदूक के निर्यात पर रोक, पक्षियों का शिकार करने के लिए बनाई गई थी यह गन
एक्सपोर्ट आफ वर्क्स आफ आर्ट एंड आब्जेक्ट्स आफ कल्चरल इंटरेस्ट की समीक्षा समिति (आरसीईडब्ल्यूए) के सुझाव पर ब्रिटेन के कला एवं विरासत मंत्री लार्ड स्टीफन पार्किंगसन ने‘फ्लिंटलॉक स्पोर्टिंग गन’के निर्यात पर रोक लगाने संबंधी निर्णय पिछले सप्ताह लिया था।
लंदन, पीटीआई। मैसूर के शासक टीपू सुल्तान के लिए 18वीं शताब्दी में भारत में बनाई गई एक दुर्लभ नक्काशीदार बंदूक के निर्यात पर रोक लगा दी गई है। ब्रिटेन के एक संस्थान को इसे हासिल करने का समय देने के लिए यह कदम उठाया गया है। संस्थान भारत-ब्रिटेन इतिहास में 'तनावपूर्ण अवधि' का अध्ययन कर रहा है। बंदूक का मूल्य 20 लाख पाउंड आंका गया है।
पक्षियों का शिकार करने के लिए बनाई गई थी बंदूक
'एक्सपोर्ट आफ वर्क्स आफ आर्ट एंड आब्जेक्ट्स आफ कल्चरल इंटरेस्ट' की समीक्षा समिति (आरसीईडब्ल्यूए) के सुझाव पर ब्रिटेन के कला एवं विरासत मंत्री लार्ड स्टीफन पार्किंगसन ने‘फ्लिंटलॉक स्पोर्टिंग गन’के निर्यात पर रोक लगाने संबंधी निर्णय पिछले सप्ताह लिया था। 14-बोर की यह बंदूक 1793 से 1794 के बीच की है और इसे पक्षियों का शिकार करने के लिए बनाया गया था। इस बंदूक पर उसके निर्माता असद खान मुहम्मद के हस्ताक्षर हैं।
बंदूक को 1790 से 1792 के बीच अर्ल कार्नवालिस को किया गया था
ब्रिटिश औपनिवेशिक काल की इस बंदूक के बारे में कहा जाता है कि इसे 1790 से 1792 के बीच टीपू सुल्तान के साथ युद्ध लड़ चुके जनरल 'अर्ल कार्नवालिस' को भेंट किया गया था। लार्ड पार्किंगसन ने कहा, 'यह आग्नेयास्त्र अपने आप में अनोखा है और ब्रिटेन और भारत के बीच के अहम इतिहास का उदाहरण भी है।'
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बंदूक निर्यात लाइसेंस आवेदन पर निर्णय 25 सितंबर तक टला
मैसूर के शेर नाम से प्रसिद्ध टीपू सुल्तान एंग्लो-मैसूर युद्ध में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और उसके सहयोगियों के धुर विरोधी थे। टीपू सुल्तान श्रीरंगपट्टनम के अपने गढ़ की रक्षा करते हुए चार मई, 1799 को बलिदान हुए। उनकी मौत के बाद उनके उत्कृष्ट निजी हथियार युद्ध में शामिल ब्रिटिश सेना के तत्कालीन शीर्ष अधिकारियों को सौंप दिए गए थे। हाल ही में उनकी बेडचैंबर तलवार लंदन में बोनहम्स नीलामी घर में रिकार्ड 1.4 करोड़ पाउंड में बिकी थी। समिति के सदस्य क्रिस्टोफर रावेल ने कहा कि यह बेहद सुंदर है, साथ ही तकनीकी रूप से भी काफी उन्नत है। बंदूक के लिए निर्यात लाइसेंस आवेदन पर निर्णय 25 सितंबर तक टाल दिया गया है।