'ग्लोबल टीचर प्राइज' के दावेदारों में तीन भारतीय शिक्षक भी
पुरस्कार के रूप में 10 लाख डॉलर की राशि दी जाती है। इस पुरस्कार के लिए 140 देशों के करीब 12 हजार शिक्षकों को नामांकित किया गया था।
लंदन, प्रेट्र। यूनेस्को की साझेदारी में होने वाले वार्षिक वर्कले फाउंडेशन ग्लोबल टीचर प्राइज-2020 के लिए चुने गए 50 दावेदारों में तीन भारतीय शिक्षक भी शामिल हैं। पुरस्कार के तौर पर 10 लाख डॉलर की राशि दी जाती है। पुरस्कार समिति इन 50 शिक्षकों में दस अंतिम दावेदारों को चुनेगी और जून में नतीजों की घोषणा की जाएगी।
इस पुरस्कार के लिए 140 देशों के करीब 12 हजार शिक्षकों को नामांकित किया गया था जिनमें से 50 शिक्षकों को संभावित विजेता के रूप में चुना गया है। इनमें राजस्थान के शिक्षा निकेतन बेयरफुट कॉलेज में नागरिकता के शिक्षक शुवजीत पायने, महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के परितावाड़ी स्थित जिला परिषद प्राथमिक स्कूल में शिक्षक रंजीतसिंह दिसाले, दिल्ली स्थित एसआरडीएवी पब्लिक स्कूल में कंप्यूटर विज्ञान की शिक्षिका विनीता गर्ग शामिल हैं।
दिसाले ने कहा, 'यह किसी सपने जैसा है। मैं और मेरे छात्र शीर्ष 50 संभावित विजेताओं में चुने जाने से खुश हैं। हमारी कड़ी मेहनत की यह पारितोषी है।' उल्लेखनीय है कि उन्हें तकनीक का इस्तेमाल कर प्राथमिक शिक्षा को सुधारने का श्रेय दिया जाता है। दिसाले ने क्यूआर कोडेड टेक्स्ट बुक योजना के तहत विभिन्न भाषाओं और बोलियों में ऑडियो-वीडियो सामग्री लिंक की है।
शुवजीत पायने ने कहा, 'मेरा मानना है कि पुरस्कार से मिली पहचान से लोग प्रोत्साहित होंगे। इससे उनके काम भी लोगों के सामने आएगा।' उल्लेखनीय है कि पायने ग्रामीण भारत की जरूरतों के अनुरूप अनौपचारिक रूप से चल रहे 50 सामुदायिक स्कूलों के संचालन और पाठ्यक्रम के लिए जिम्मेदार हैं।
यह ग्लोबल टीचर प्राइज का यह छठा संस्करण है और शिक्षा के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए यह सम्मान दिया जाता है एवं संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक, सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) साझीदार है।