ब्रिटिश संसद ने नकारा ब्रेक्जिट करार, मे ने विश्वास मत जीता
संसद द्वारा ब्रेक्जिट समझौते को खारिज करने से प्रधानमंत्री टेरीजा मे को बड़ा झटका लगा है। हालांकि उनकी सरकार बच गई है क्योंकि उन्होंने बुधवार को विश्वास मत जीत लिया है।
लंदन, प्रेट्र। यूरोपीय यूनियन से ब्रिटेन के अलगाव के लिए हुए ब्रेक्जिट करार को ब्रिटिश संसद ने भारी बहुमत से नकार दिया है। करार के पक्ष में 202 और विरोध में 432 वोट पड़े। करार के विरोध में मे की पार्टी के भी 100 से ज्यादा सांसदों ने मतदान किया। संसद द्वारा ब्रेक्जिट समझौते को खारिज करने से प्रधानमंत्री टेरीजा मे को बड़ा झटका लगा है। हालांकि उनकी सरकार बच गई है क्योंकि उन्होंने बुधवार को विश्वास मत जीत लिया है।
बुधवार को विपक्षी लेबर पार्टी ने मे सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी पेश किया जिसे उनकी सरकार ने जीत लिया। उनके पक्ष में 325 वोट पड़े जबकि विरोध में 306 मत पड़े। यानी उनकी सरकार नौ मतों के अंतर से गिरने से बच गई।
इससे पहले, संसद के निचले सदन हाउस ऑफ कॉमंस में ब्रेक्जिट करार के गिरने के तुरंत बाद विपक्षी लेबर पार्टी के नेता जेरेमी कॉर्बिन ने कहा कि उन्होंने सरकार के खिलाफ औपचारिक रूप से अविश्वास प्रस्ताव रखा है। प्रधानमंत्री के लिए इसे शर्मनाक हार बताते हुए जेरेमी ने कहा कि इस कमजोर और नुकसान पहुंचाने वाले डील को समर्थन देने का मतलब ब्रिटेन के लिए अंधेरे में लापरवाही से छलांग लगाने जैसे ही होता।
ब्रिटेन 28 सदस्यीय यूरोपीय यूनियन का 1973 में सदस्य बना था। अब उससे अलग होने की आखिरी तारीख 29 मार्च है। दो महीने से भी कम समय बचा है, लेकिन ब्रिटेन अभी यह तय नहीं कर पाया है कि अलगाव कैसे होगा। जनमत संग्रह के बाद प्रधानमंत्री मे ने लगभग दो साल तक अलग होने के बाद के कायदे कानूनों पर बातचीत में लगाए। लेकिन उसका नतीजा भी सिफर ही निकला।
समझौते का विरोध कर रहे सांसद यूरोपीय यूनियन के साथ और नजदीकी संबंध या फिर बिना किसी समझौते के ही अलग होने के पक्ष में हैं। वहीं, पीएम मे ने कहा है कि वह अगले हफ्ते संसद के निचले सदन में नया प्रस्ताव पेश करेंगी। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सांसदों ने यह तो बता दिया कि वह किसके विरोध में है, लेकिन यह नहीं बताया कि आखिर वह चाहते क्या हैं। इसके लिए उन्होंने सभी दलों के साथ बातचीत की भी पेशकश की है।
ब्रिटिश संसद के नियमों के मुताबिक अगर किसी बिल को सांसदों द्वारा नकार दिया जाता है तो प्रधानमंत्री को तीन बैठक दिवसों के भीतर दूसरा प्रस्ताव पेश करना पड़ता है। इसलिए संसद में नया प्रस्ताव पेश करने से पहले पीएम मे के ब्रशेल्स जाने और यूरोपीय यूनियन के नेताओं से नए सिरे से बातचीत कर कुछ और छूट हासिल करने के कयास लगाए जा रहे हैं, हालांकि, ईयू के नेताओं ने डील के खारिज होने के बाद किसी तरह के छूट देने की संभावना नहीं जताई है। पीएम मे के नए प्रस्ताव को भी अगर सांसद खारिज कर देते हैं तो फिर तीसरा प्रस्ताव लाने के लिए उनके पास तीन हफ्ते का समय होगा। अगर फिर भी ब्रेक्जिट डील को संसद पारित नहीं करती है तो ब्रिटेन को बिना किसी समझौते के ही यूरोपीय यूनियन से अलग होना पड़ सकता है।
अभी बातचीत की गुंजाइश : मर्केल
उधर, बर्लिन में ब्रिटिश संसद द्वारा पीएम टेरीजा मे के ब्रेक्जिट करार को खारिज किए जाने के बाद बुधवार को जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने कहा कि अभी बातचीत के लिए समय खत्म नहीं हुआ है। मर्केल ने एक न्यूज चैनल से बातचीत में कहा, 'हमारे पास बातचीत के लिए अभी समय है, लेकिन हम प्रधानमंत्री मे के प्रस्ताव का इंतजार कर रहे हैं।' ब्रेक्जिट डील के खारिज होने पर दुख जताते हुए उन्होंने कहा कि अब यह ब्रिटेन को तय करना है कि वह चाहता क्या है। हम नुकसान को कम करना चाहते हैं। इसलिए हम व्यवस्थित समाधान के पक्ष में हैं। लेकिन किसी व्यवस्थित समाधान नहीं निकलने की स्थिति के लिए भी हम तैयार हैं।