जमीन के नीचे बह रहा पानी, बताएगा हाई रिजोल्यूशन मैप, शोध में आया सामने
नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी के शोधकर्ताओं की एक टीम ने मिलकर उपग्रहों और जलवायु के डाटा जुटाकर विश्व के तटों पर भूजल के प्रवाह का पता लगाया है।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। ग्लोबल वर्मिंग की वजह से पानी के नेचुलर स्त्रोत खत्म होते जा रहे हैं। पानी की समस्या पूरी दुनिया के लिए चिंता का कारण बनी हुई है। मीठा पानी तो दूर दराज के इलाकों में भी ढूढ़ने से नहीं मिल रहा है। जमीन के नीचे पानी है भी या नहीं वो मीठा है या खारा, इसका पता लगाने के लिए वैज्ञानिकों ने एक नई तरह की खोज की है। वैज्ञानिकों ने एक ऐसा हाई रिजोल्यूशन मैप बनाया है जो ये बताएगा कि पूरे विश्व में कहां-कहां भूमिगत जल महासागरों में जाकर मिल रहा है।
जियोग्राफिकल रिसर्च लेटर जर्नल में प्रकाशित हुए अध्ययन में अमेरिका की ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पाया है कि लगभग आधे भूमिगत ताजे पानी के स्नोत ऊष्कटिबंधीय इलाकों के पास समुद्र में जाकर मिलते हैं। शोधकर्ताओं ने कहा कि कैलिफोर्निया के सेन आंद्रे फॉल्ट में ऐसे क्षेत्र हैं जहां भूमिगत ताजा पानी बहता रहता है। अध्ययन के दौरान उन्होंने पाया कि शुष्क क्षेत्रों में बहुत कम भूजल बहता है, जिससे दुनिया के उन हिस्सों में भी भूजल आपूर्ति होती है जहां खारा पानी अत्यधिक मात्र में पाया जाता है।
लगातार गिरता जा रहा भूजल स्तर
सभी बड़े शहरों में भूजल का स्तर लगातार गिरता जा रहा है। इस गिरते भूजल स्तर को लेकर हर कोई परेशान है। जहां पहले 100 से 150 फुट पर बढ़िया पानी मिल जाता था वहीं अब इसका स्तर 250 से 300 पर पहुंच गया है और ये लगातार गिरता जा रहा है। भूवैज्ञानिकों का कहना है कि अत्यधिक भूजल दोहन की वजह से स्तर गिरता जा रहा है। दो दशक पहले तक बरसात के दौरान नेचुरल तरीके से भूजल रिचार्ज भी हो जाता था मगर अब नेचुरल रिचार्ज बंद है सिर्फ दोहन किया जा रहा है। ऐसे में भूजल का स्तर गिरना लाजिमी है। भूजल गिरते रहने का एक दूसरा बड़ा कारण प्राकृतिक स्त्रोत का खत्म होना भी है। सरकारें भूजल रिचार्ज के लिए कोई नेचुरल तरीका नहीं अपना रही है। जिसकी वजह से इसका स्तर गिरता ही जा रहा है। अगले दो दशकों में इसके स्तर में और गिरावट होना तय है। मगर उसको ध्यान में रखते हुए कोई काम नहीं किया जा रहा है। शहरों में हजारों बहुमंजिला इमारतें बनकर खड़ी हो गई, मगर इनमें पानी कहां से पहुंचेगा इसके लिए कोई इंतजाम नहीं किए गए। मशीनों से लगातार पानी निकाला जा रहा है। ऐसे में भूजल का स्तर गिरना तय है।
नासा ने किया शोध
नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी के शोधकर्ताओं की एक टीम ने मिलकर उपग्रहों और जलवायु के डाटा जुटाकर विश्व के तटों पर भूजल के प्रवाह का पता लगाया है। इस अध्ययन से तटीय इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए पीने के पानी की समुचित व्यवस्था करने में मदद मिल सकती है। ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर आंद्रे स्वायर ने कहा कि भूमिगत ताजे पानी के स्त्रोत प्राकृतिक हैं और ये खारे पानी को अलग करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा कि यह एक समस्या है कि सूखे क्षेत्रों में भूजल का कम से कम बहना होता है, क्योंकि ये ऐसे स्थान हैं जहां लोग अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए भूमिगत मीठे पानी की तलाश में रहते हैं। उन्होंने कहा कि उच्च-रिजोल्यूशन वाला मैप वैज्ञानिकों को भूजल निर्वहन की निगरानी करने के लिए बेहतर सुराग दे सकता है। हम इसके सहारे पानी की समस्या दूर करने में कामयाब हो सकते हैं।
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