ईंट-ईंट जोड़कर घर बना रहा सीमेंट आपकी सेहत पर पड़ रहा भारी, जानें कैसे...
इंसान द्वारा निर्मित और पानी के बाद सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली चीज कंक्रीट है। कंक्रीट के निर्माण में सीमेंट का इस्तेमाल होता है जो कार्बन उत्सर्जन का एक अहम स्नोत है।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। इंसान द्वारा निर्मित और पानी के बाद सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली चीज कंक्रीट है। कंक्रीट के निर्माण में सीमेंट का इस्तेमाल होता है जो कार्बन उत्सर्जन का एक अहम स्नोत है। लंदन के थिंक टैंक चाथम हाउस के मुताबिक वैश्विक स्तर पर कार्बन डाईऑक्साइड का आठ फीसद उत्सर्जन सीमेंट से होता है। अगर दुनिया के सीमेंट उद्योग को एक देश माना जाए तो चीन और अमेरिका के बाद सर्वाधिक कार्बन यही देश उत्सर्जित कर रहा है।
नया नहीं है सीमेंट
सीमेंट कुछ साल पहले की खोज नहीं है, बल्कि इसका इस्तेमाल हजारों साल से हो रहा है। इसका उदाहरण आठ हजार साल पहले बनी सीरिया और जॉर्डन में इमारतें और तालाब हैं। 113-125 ई में सीमेंट और कंक्रीट के इस्तेमाल से रोम में रोमन मंदिर पैंथियन का निर्माण हुआ। इसके गुंबद का व्यास 43.30 मीटर है जो बिना किसी सहारे के टिका हुआ है।
दोगुनी होंगी इमारतें
विश्व में अगले 40 साल में इमारतों की संख्या दोगुनी हो जाएगी, जिसके लिए 2030 की तिमाही तक सीमेंट उत्पादन को बढ़ाने की आवश्यकता होगी।
अनूठे नमूनों का आधार भी
रेत, सीमेंट और पानी के मिश्रण की क्षमता भी खास है। दिल्ली के लोटस टेंपल और सिडनी का ओपेरा हाउस से दुबई की गगनचुंबी बुर्ज खलीफा तक इस मिश्रण का ही अनूठा उदाहरण है। इंसान को टिकाऊ और सुलभ छत उपलब्ध कराने का श्रेय इसे ही जाता है। वर्तमान में कंक्रीट के बिना इमारत खड़ी करना चुनौतीपूर्ण है।
सीमेंट उद्योग में बढ़त
सीमेंट का विकल्प मौजूद न होने की वजह से एशिया और चीन में इस उद्योग में लगातार बढ़ोतरी हुई है। 1950 तक इन दोनों जगहों पर इसके उत्पादन में तीस गुना इजाफा हुआ तो 1990 के बाद उत्पादन में चार गुना की बढ़ोतरी दर्ज हुई। चीन ने अमेरिका द्वारा पूरी बीसवीं सदी में इस्तेमाल हुई सीमेंट से अधिक मात्रा का उपयोग 2011 से 2013 के बीच किया। हालांकि चीन में अब गिरावट दर्ज की गई है। शहरीकरण और आर्थिक विकास की वजह से साउथ ईस्ट एशिया और उप सहारा अफ्रीका उभरते बाजार बने हैं।
ये हैं विकल्प
सीमेंट से कार्बन उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए कई नए विकल्पों पर अध्ययन किया जा रहा है। बॉयोमेसन कंपनी अरबों बैक्टीरिया से बॉयो कंक्रीट ईंटों का निर्माण करती है। कंपनी के सीईओ और सह संस्थापक जिंजर क्रीज डोजियर के मुताबिक रेत को ईंटों के सांचों में डाला जाता है और कई सूक्ष्म जीवों इसमें छोड़ दिया जाता है। इसकी शुरुआती प्रक्रिया समुद्री घास उगाने की तरह ही है जिसमें कार्बन उत्सर्जन नहीं होता है।
कंक्रीट के जंगलों से बढ़ता कार्बन संयुक्त राष्ट्र के 2018 में जलवायु परिवर्तन सम्मेलन सीओपी24 में विश्व स्तर पर सीमेंट उद्योग से जुड़ी हस्तियां शामिल हुईं। यहां निर्धारित हुआ कि जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते के लक्ष्य प्राप्त करने के लिए सीमेंट से सालाना कार्बन उत्सर्जन को 2030 तक 16 फीसद तक घटाना होगा।
अब गाजर के कंक्रीट से बनेंगी मजबूत इमारतें
विटामिन का खजाना गाजर अब इंसान के साथ-साथ पर्यावरण को तंदुरुस्त बनाने के भी काम आएगी। ब्रिटेन की लंकास्टर यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने गाजर की मदद से इको-फ्रेंडली कंक्रीट बनाई है, जो सामान्य कंक्रीट के मुकाबले अस्सी फीसद तक मजबूत और टिकाऊ है। इससे बनी इमारतें कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन को घटाकर पर्यावरण संतुलन में अहम भूमिका निभाएंगी। दिलचस्प बात ये है कि इन इमारतों में आई दरारें और टूट-फूट खुद ब खुद ठीक हो जाएगी।
दरार प्रतिरोधी
शोधकर्ताओं ने इस प्रयोग में गाजर को कद्दूकस कर इसके नैनो पार्टिकल्स को कंक्रीट के साथ मिलाया। ये नैनो पार्टिकल सामान्य सीमेंट के मुकाबले दरार प्रतिरोधी और 80 फीसद टिकाऊ साबित हुए। सामान्य सीमेंट की तुलना में गाजर मैकेनिकल और माइक्रोस्ट्रक्चर गुणों के कारण मजबूत कंक्रीट मटेरियल की तरह इस्तेमाल की जा सकती है।