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मर रहे आर्कटिक के पौधे, तेजी से बढ़ रहा तापमान

दो गुना तेजी से तापमान में इजाफे से बढ़ सकती है जलवायु परिवर्तन की चुनौती, कार्बन संतुलन बिगड़ने से ज्यादा खराब हो सकती है स्थिति

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 28 Nov 2018 11:37 AM (IST)Updated: Wed, 28 Nov 2018 11:39 AM (IST)
मर रहे आर्कटिक के पौधे, तेजी से बढ़ रहा तापमान
मर रहे आर्कटिक के पौधे, तेजी से बढ़ रहा तापमान

लंदन [प्रेट्र]। वर्तमान में जलवायु परिवर्तन वैश्विक स्तर पर सबसे बढ़ा संकट बनता जा रहा है। इंसानी गतिविधियों का नुकसान कुदरत को भी उठाना पड़ रहा है और बदले में प्राकृति अपना ऐसा रूप दिखा रही है, जिससे यह संकट और विकराल होता जा रहा है। इसी कड़ी में एक और चिंताजनक परिवर्तन समाने आया है। आर्कटिक क्षेत्र में हो रही अप्रत्याशित मौसमी गतिविधियों के चलते यहां के पौधे तेजी से मर रहे हैं। वैश्विक औसत की तुलना में आर्कटिक क्षेत्र का तापमान दोगुना तेजी से बढ़ रहा है।

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जलवायु परिवर्तन से लड़ने में अक्षम हो जाएगा इकोसिस्टम

ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ शेफील्ड के वैज्ञानिकों ने पाया कि इन बदलावों के कारण पौधों के मरने से यहां जलवायु परिवर्तन का दुष्प्रभाव और बढ़ सकता है। ऐसा होने से यहां का इकोसिस्टम जलवायु परिवर्तन से लड़ने में अक्षम हो जाएगा। वैज्ञानिकों ने इस बदलाव को बेहद चिंताजनक बनाया है और इसके लिए उचित कदम उठाने की सलाह भी दी है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यदि यह बदलाव यूं ही जारी रहा तो पृथ्वी पर संकट तेजी से बढ़ने लगेगा। बता दें कि इससे पहले वैज्ञानिकों ने एक शोध में कहा था कि गर्मियों में बढ़ते तापमान से आर्कटिक में हरियाली बढ़ रही है।

जटिल हो सकती है स्थिति त्रेहार्न ने कहा, ‘जलवायु परिवर्तन के बहुत से मॉडल यह अनुमान भी लगाते हैं कि आर्कटिक में हरियाली बढ़ रही है और कार्बन डाईऑक्साइड का अवशोषण बढ़ रहा है। फिलहाल पिछले कुछ साल में यहां जिस गति से पौधे मरे हैं, उसे देखते हुए लगता है कि स्थिति बहुत जटिल हो सकती है।’

प्रभाव को लेकर ज्यादा जानकारी नहीं शोधकर्ता रैशेल त्रेहार्न ने कहा, ‘आर्कटिक के पौधे तेजी से मर रहे हैं, लेकिन अभी हमारे पास कार्बन संतुलन पर इससे पड़ने वाले प्रभाव को लेकर ज्यादा जानकारी नहीं है। पौधों द्वारा कार्बन ग्रहण करने और पौधों व मिट्टी द्वारा उत्सर्जित होने वाले कार्बन के आधार पर कार्बन संतुलन परखा जाता है। वर्तमान समय में और भविष्य में भी वैश्विक जलवायु पर आर्कटिक की भूमिका को समझने के लिए इस बारे में जानकारी बहुत जरूरी है।’

दो बड़ी घटनाएं

आर्कटिक नार्वे के लोफोटेन द्वीपसमूह में अध्ययन कर रहे वैज्ञानिकों ने पाया कि इस क्षेत्र में दो बड़ी जलवायु संबंधी घटनाएं हुई हैं। एक के कारण यहां के सदाबहार पौधे मर रहे हैं और दूसरे के कारण पौधों की टहनियों व पत्तों में लाल पिगमेंट का स्तर बढ़ा है। शोधकर्ताओं का कहना है कि पौधों के मरने के कारण कार्बन डाईऑक्साइड को सोखने की आर्कटिक क्षेत्र की क्षमता करीब आधी हो गई है। 


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