Move to Jagran APP

बर्फ पिघलने की दर रिकॉर्ड स्तर पर पहुंची, पांच साल में 10 फीसद सिकुड़े स्विट्जरलैंड के ग्लेशियर

जलवायु परिवर्तन को लेकर वैश्विक चिंता के बीच एक अध्ययन में कहा गया है कि पिछले पांच साल में स्विट्जरलैंड के ग्लेशियर दस फीसद सिकुड़ गए।

By Tilak RajEdited By: Published: Tue, 15 Oct 2019 07:09 PM (IST)Updated: Tue, 15 Oct 2019 07:09 PM (IST)
बर्फ पिघलने की दर रिकॉर्ड स्तर पर पहुंची, पांच साल में 10 फीसद सिकुड़े स्विट्जरलैंड के ग्लेशियर
बर्फ पिघलने की दर रिकॉर्ड स्तर पर पहुंची, पांच साल में 10 फीसद सिकुड़े स्विट्जरलैंड के ग्लेशियर

जेनेवा, एएफपी। आखिर किस तरह जलवायु परिवर्तन से निपटा जाए, इस मुद्दे पर विश्‍वभर में चिंतन चल रहा है। जलवायु परिवर्तन को लेकर वैश्विक चिंता के बीच एक अध्ययन में कहा गया है कि पिछले पांच साल में स्विट्जरलैंड के ग्लेशियर दस फीसद सिकुड़ गए। बीती एक सदी में ग्लेशियरों की बर्फ पिघलने की यह सर्वाधिक वृद्धि दर बताई जा रही है।

loksabha election banner

स्विस एकेडमी ऑफ साइंसेज के क्रायोस्फेरिक कमीशन की ओर से कराए गए ग्लेशियरों के सालाना अध्ययन के अनुसार, 20 स्विस ग्लेशियरों की मापजोख से पता चला कि इस साल बर्फ पिघलने की दर रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई। कमीशन का कहना है कि इस साल अप्रैल और मई में इन ग्लेशियरों में बर्फ की मात्रा औसत से 20 से 40 फीसद ज्यादा थी। लेकिन जून के अंतिम दो हफ्तों और जुलाई में पड़ी भीषण गर्मी से ग्लेशियरों की बर्फ बड़ी तेजी से पिघली।

ज्यूरिख स्थित ईटीएच टेक्निकल यूनिवर्सिटी के एक हालिया अध्ययन में आगाह किया गया है कि अगर ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन पर लगाम नहीं लगाई गई, तो इस सदी के अंत तक आल्प्स पर्वतमाला के करीब चार हजार ग्लेशियर में 90 फीसद से ज्यादा गायब हो जाएंगे। जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर भारत में मोदी सरकार ने भी कई कठोर कदम उठाएं हैं। हाल ही में सिंगल यूज प्‍लास्टिक के इस्‍तेमाल न करने को लेकर भी अभियान शुरू हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों यूनाइटेड नेशंस जनरल असेंबली के दौरान भी कहा था कि भारत ने पर्यावरण की रक्षा के लिए काम शुरू कर दिया है और अब अन्‍य देशों को भी जल्‍द कदम उठाने चाहिए।

इसे भी पढ़ें: Climate Change के खिलाफ अभियान की अगुआई करेगा भारत, बच्चों को मिलेगा बेहतर भविष्य

गौरतलब है कि जलवायु परिवर्तन से जुड़ी वैश्विक चुनौतियों को लेकर संयुक्त राष्ट्र की पहल पर गठित अंतरसरकारी समूह की रिपोर्ट में समुद्र से जुड़े नए खतरों को लेकर चिंता जताई गई थी। रिपोर्ट में चेतावनी दी गई थी कि जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप न सिर्फ समुद्रों के जलस्तर में वृद्धि होगी, बल्कि समुद्री तापमान और पानी के अम्लीकरण में इजाफे का खतरा भी बढ़ेगा। इससे समुद्री जीवों के वजूद पर भी संकट मंडराने लगेगा। ऐसे में अगर समय रहते कठोर कदम नहीं उठाए गए, तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।

 इसे भी पढ़ें: Climate Change पर कार्रवाई को वैज्ञानिकों ने खोला मोर्चा, तीन सौ से ज्यादा लोग शामिल


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.