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आर्कटिक तक पहुंचा एक दशक पहले दिल्ली में खोजा गया सुपरबग जीन

2010 में पहली बार दिल्ली में पानी में इस Superbug Gene को पाया गया। इसके बाद से 100 से ज्यादा देशों में इस जीन को देखा जा चुका है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Mon, 28 Jan 2019 09:32 PM (IST)Updated: Mon, 28 Jan 2019 09:46 PM (IST)
आर्कटिक तक पहुंचा एक दशक पहले दिल्ली में खोजा गया सुपरबग जीन
आर्कटिक तक पहुंचा एक दशक पहले दिल्ली में खोजा गया सुपरबग जीन

लंदन, प्रेट्रएक दशक पहले दिल्ली में खोजा गया सुपरबग जीन (Superbug Gene) आर्कटिक तक पहुंच गया है। इस तरह के एंटीबायोटिक रजिस्टेंट जीन (एआरजी) विभिन्न सूक्ष्म जीवों में एक से ज्यादा दवाओं के प्रति प्रतिरोधकता (एमडीआर) पैदा करते हैं।

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विभिन्न बैक्टीरिया में दवा प्रतिरोधकता पैदा करने में सक्षम ऐसे ही प्रोटीन एनडीएम-1 को सबसे पहले 2008 में पहचाना गया था। उस समय क्लीनिकल परीक्षण में इस प्रोटीन वाले जीन बीएलएएनडीएम-1 को देखा गया था।

2010 में पहली बार दिल्ली में पानी में इस जीन को पाया गया। इसके बाद से 100 से ज्यादा देशों में इस जीन को देखा जा चुका है। कई जगहों पर इसके नए वैरिएंट भी मिले हैं। अब आर्कटिक के द्वीप स्वालबार्ड के आठ अलग-अलग स्थानों से जुटाए गए सैंपल में 131 एआरजी की पहचान हुई है। इस अध्ययन को एनवायरमेंटल इंटरनेशनल में प्रकाशित किया गया है।

पक्षियों और पर्यटकों ने पहुंचाया
वैज्ञानिकों का मानना है कि विभिन्न जीवों और मनुष्यों के पेट में मिलने वाले बीएलएएनडीएम-1 व अन्य एआरजी संभवतः आर्कटिक आने वाले पक्षियों और पर्यटकों के जरिये यहां पहुंचे होंगे।

ब्रिटेन की न्यूकैसल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डेविड ग्राहम ने कहा, 'धु्रवीय क्षेत्र धरती के प्राचीनतम संरक्षित पारिस्थितिक तंत्र में शुमार किए जाते हैं। इनसे प्री-एंटीबायोटिक काल को समझने में मदद मिलती है। आर्कटिक जैसे क्षेत्र में पहुंच से यह साबित हुआ है कि एंटीबायोटिक रजिस्टेंस कितनी तेजी से फैल रहा है। इससे यह भी पुष्ट हुआ है कि हमें स्थानीय नहीं वैश्विक परिस्थिति को ध्यान में रखकर इसके समाधान का प्रयास करना होगा।'

बहुत जटिल है दवा प्रतिरोधकता की समस्या

कुछ ही ऐसे एंटीबायोटिक हैं जो दवाओं के प्रति प्रतिरोधी हो चुके बैक्टीरिया से लड़ने में सक्षम हैं। ऐसे में बीएलएएनडीएम-1 और अन्य एआरजी का दुनियाभर में प्रसारित होना चिंता का विषय है। ग्राहम ने कहा, 'दुनियाभर में एंटीबायोटिक के ज्यादा प्रयोग के चलते दवा प्रतिरोधकता वाले ऐसे नए जीन पैदा हो रहे हैं, जो पहले अस्तित्व में नहीं थे। अध्ययन के दौरान टीबी में एमडीआर का कारण बनने वाला जीन यहां के सभी सैंपल में पाया गया। वहीं बीएलएएनडीएम-1 जीन 60 फीसद से ज्यादा सैंपल में मिला।'


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