वैज्ञानिकों की बड़ी खोज, पृथ्वी से छह प्रकाश वर्ष की दूरी पर मिला 'सुपर अर्थ'
लंदन की क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ताओं ने कहा है कि पहले इस ग्रह को बर्नाड नाम का तारा समझा गया था।
लंदन, प्रेट्र। वैज्ञानिकों ने सुपर-अर्थ को ढूंढ लिया है जो सूर्य के सबसे नजदीकी तारे के इर्द-गिर्द चक्कर लगा रही है। बर्फ से ढंकी यह 'सुपर अर्थ' पृथ्वी से करीब छह प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। माना जा रहा है कि यह वैज्ञानिकों की अब तक की सबसे बड़ी खोज है और आने वाले समय में पृथ्वी के सबसे करीबी ग्रहों के बारे में जानकारी एकत्रित करने में वैज्ञानिकों को बड़ी मदद भी मिल सकती है।
लंदन की क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ताओं ने कहा है कि पहले इस ग्रह को बर्नाड नाम का तारा समझा गया था। लेकिन इस बार वैज्ञानिकों ने नई तकनीक का प्रयोग कर इसके ग्रह होने की पुष्टि की है। सूर्य के सबसे करीबी तारे अल्फा सेंटौरी ट्रिपल सिस्टम के बाद सबसे करीबी ग्रह बर्नाड स्टार-बी पृथ्वी से करीब छह प्रकाशवर्ष दूर है। सबसे नजदीकी अल्फा तारा पृथ्वी से करीब चार प्रकाश वर्ष दूर है। सुपर अर्थ बर्नाड एक पथरीला ग्रह है जो हमारे सौरमंडल के बाहर पृथ्वी के नजदीक स्थित है। यह हर 233 दिनों में अपने तारे स्टार-बी का एक चक्कर पूरा करता है।
वैज्ञानिकों को मिली इस बड़ी सफलता की जानकारी पत्रिका नेचर में प्रकाशित की गई है। इस लेख में बताया गया है कि किस तरह खगोलविदों ने छह प्रकाश वर्ष दूर इस बर्नाड ग्रह के बारे में पता लगाया है। यह ग्रह 'स्नोलाइन' नामक एक तारे के चक्कर लगा रहा है। यह अपने तारे से काफी दूरी पर है।
खगोलविदों ने शोध के दौरान पाया कि यह ग्रह बर्फ की चादर में लिपटा है और यहां एक धुंधली दुनिया भी मौजूद है। आकार में बढ़ा यह ग्रह पृथ्वी से करीब 3.2 गुना वजनी है। यह ग्रह जीवनयापन योग्य नहीं है। क्योंकि यहां तरल रूप में पानी नहीं है। बर्फीले ग्रह की सतह का तापमान माइनस 170 डिग्री सेल्सियस है। इससे साफ है कि यहां पृथ्वी जैसे जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। अगर इस ग्रह पर वातावरण मिला और तापमान कुछ बढ़ा तो संभवत: जीवन मिलने योग्य हालात बन सकते हैं।
स्पेन स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस साइंसेज के इगनासी रिबास ने कहा कि यह खोज तब बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह कुछ वैसा है जैसे आपका पड़ोसी जिससे हम जान-पहचान बढ़ाना चाहते हैं। रिबास ने कहा कि सुपर अर्थ निश्चित तौर पर रहने योग्य स्थान नहीं है, क्योंकि यहां पानी और गैस ठोस के रूप में है क्योंकि वहां सब-कुछ जमा हुआ है।
उल्कापिंड से बना पेरिस से बड़ा गड्ढा मिला
वैज्ञानिकों की ताजा खोज के मुताबिक बर्फीले उत्तरी ग्रीनलैंड में 31 किलोमीटर चौड़ा एक विशाल गढ्डा मिला है जो सदियों पहले एक उल्कापिंड के टकराने से बना है। इसका आकार फ्रांस की राजधानी पेरिस से भी बड़ा है। डेनमार्क की कोपेनहेगन यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि पृथ्वी के किसी महाद्वीप पर बर्फ की मोटी परतों के नीचे इतना विशाल गढ्डा मिला है।