आक्सफोर्ड के वैज्ञानिकों ने खोला स्टोनहॅन्ज का राज
वैज्ञानिकों का कहना है कि उन्होंने यहां मिले मानव अवशेषों के आधार पर पता लगा लिया है कि इस स्थल का निर्माण किन लोगों के द्वारा किया गया।
लंदन [प्रेट्र]। ब्रिटेन में स्थित विश्व विरासत स्थल स्टोनहॅन्ज का रहस्य सुलझाने का दावा वैज्ञानिकों ने किया है। लंबे अध्ययन के बाद भी यहां लोगों को दफनाने और उनके यहां तक पहुंचने के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त नहीं हो सकी थी। अब शोध में शामिल आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों का कहना है कि उन्होंने यहां मिले मानव अवशेषों के आधार पर पता लगा लिया है कि इस स्थल का निर्माण किन लोगों के द्वारा किया गया।
गौरतलब है कि स्टोनहॅन्ज इंग्लैंड के
विल्टशायर शहर में स्थित प्रागैतिहासिक काल की स्मारक है। यहां करीब 13 फुट लंबे और सात फुट चौड़े पत्थर गोल आकृति में स्थापित किए गए हैं। साइंटिफिक रिपोट्र्स नामक जर्नल में प्रकाशित शोध में बताया गया है कि स्मारक में प्रयोग किए गए ब्लूस्टोन को पश्चिमी वेल्स शहर से यहां दफनाए गए लोगों के साथ ही लाया गया था।
इस तरह किया अध्ययन
रेडियोकार्बन डेटिंग और पुरातत्विक अध्ययन के आधार पर शोध के मुख्य लेखक क्रिस्टोफ स्नोएक ने बताया कि स्मारक पर मिलीं हड्डियों में पाए जाने वाले स्ट्रांशियम समस्थानिक की सहायता से खोज की गई कि यहां दफनाए गए लोगों का निवास स्थल कहां था। इसके लिए शोधकर्ताओं की टीम ने 1920 में यहां से निकाली गईं 25 मानव खोपड़ियों का अध्ययन किया।
यह आया सामने
शोध में सामने आया कि यहां मिले अवशेष 3000 ईसा पूर्व के हैं। वहीं, दफनाए गए 25 में से 10 लोग यहां आस-पास नहीं रहते थे। सबसे बड़े स्ट्रांशियम समस्थानिक से पता चला कि यहां दफनाए गए लोग पश्चिमी ब्रिटेन खासकर पश्चिमी वेल्स के थे। यह ब्लूस्टोन के मिलने का भी स्थान है। संभव है कि ये लोग नवपाषाण काल में पश्चिमी वेल्स से यहां आए थे। यानी करीब 5000 साल पहले यहां लोगों के आवागमन और स्थल निर्माण की बात कही जा रही है।
1986 में बना वल्र्ड हेरिटेज
स्टोनहॅन्ज को यूनेस्को ने 1986 में विश्व विरासत स्थल का दर्जा दिया। ब्रिटिश संस्कृति का यह आइकन क्राउन के अधीन है। देखरेख इंग्लिश हेरिटेज कर रहा है। इसके आसपास स्थल को राष्ट्रीय धरोहर का दर्जा प्राप्त है।