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वैज्ञानिक टूल की तरह काम करेगा स्मार्टफोन का कैमरा, छात्रों को मिलेगी विशेष मदद

स्मार्टफोन कैमरे की मदद से विज्ञान के छात्र अध्ययन के लिए बिना किसी विशेष उपकरण के डाटा एकत्र कर सकते हैं। नई विधि से डाटा की अन्य डिवाइसों की आसानी से तुलना हो सकती है।

By Amit SinghEdited By: Published: Wed, 26 Jun 2019 11:30 AM (IST)Updated: Wed, 26 Jun 2019 12:20 PM (IST)
वैज्ञानिक टूल की तरह काम करेगा स्मार्टफोन का कैमरा, छात्रों को मिलेगी विशेष मदद
वैज्ञानिक टूल की तरह काम करेगा स्मार्टफोन का कैमरा, छात्रों को मिलेगी विशेष मदद

लंदन, प्रेट्र। वैज्ञानिकों ने एक ऐसी विधि विकसित की है जिससे स्मार्टफोन के कैमरे वैज्ञानिक उपकरण की भांति काम करेंगे। इसके जरिये विज्ञान के विद्यार्थी अध्ययन के लिए बिना किसी विशेष वैज्ञानिक उपकरण के डाटा एकत्र कर सकते हैं। हालांकि स्मार्टफोन का कैमरा कई वैज्ञानिक एप्स में पहले भी प्रयुक्त होते रहे हैं। लेकिन इसके डाटा की विभिन्न डिवाइसों से तुलना और संयोजन करना मुश्किल काम है। वैज्ञानिकों का दावा है कि नई विधि से डाटा की अन्य डिवाइसों की आसानी से तुलना हो सकती है।

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शोधकर्ताओं की टीम का नेतृत्व करने वाले नीदरलैंड की लीडेन यूनिवर्सिटी के ऑलिवियर बर्गराफ ने कहा कि आज कम लागत में भी स्मार्टफोन मिल जाते हैं। ज्यादातर लोगों की इस तक पहुंच है और वह स्वयं ही इसे आसानी से चला भी सकते हैं इसीलिए ये विज्ञान से जुड़ी परियोजनाओं के लिए एक सबसे मुफीद डिवाइस साहित हो सकती है। इसका मतलब यह है कि अब किसी भी डाटा को जुटाने और उसकी गणना के लिए खास उपकरणों की आवश्यकता कम हो जाएगी। इससे लोगों के पैसे की भी बचत हो सकती है।

‘स्टेंडर्ड कैलीब्रेशन मैथर्ड’ को विकसित करने वाले ऑलिवियर बर्गराफ ने कहा कि इस विधि का स्मार्टफोन के कैमरों में प्रयोग करना बुहत आसान है। इससे हवा में घुले सूक्ष्म कणों को भी आसानी से माप कर प्रदूषण के स्तर का पता लगाया जा सकता है। यह अध्ययन ऑप्टिक्स एक्सप्रेस जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

शोधकर्ताओं ने बताया कि इस विधि का नाम स्टेंडर्ड फोटोग्राफिक इक्यूप्मेंट कैलीब्रेशन टेक्निक एंड कैटेलॉग (एसपीईसीटीएसीएलई) है, जो स्मार्टफोन के डिजिटल सिग्नल को कैमरे के लैंस पर प्रतिबिंबित कर सकता है। यह डाटाबेस लोगों को कैमरे के जरिये अपने कैलीब्रेशन डाटा को अपलोड करने में मदद करेगा। इससे दूसरों को भी मदद मिल सकेगी।

ऑलिवियर ने बताया कि इस तकनीक का प्रयोग यूजर (उपयोगकर्ता) स्वयं ही कर सकते हैं। इसके परिणाम भी पेशेवर तरीकों की तुलना में उच्च स्तर के पाए गए। उन्होंने कहा कि स्मार्टफोन का उपयोग कर पानी की गुणवत्ता को मापने के लिए जब विज्ञान के तरीकों की खोज की जा रही थी तो हम यह विधि विकसित कर पाए। उन्होंने उम्मीद जताई है कि उनके द्वारा विकसित की गई विधि विज्ञान के छात्रों को अध्ययन के लिए मददगार सिद्ध होगी।

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