31 जनवरी को ईयू से ब्रिटेन का अलगाव तय, ब्रेक्जिट की शर्तो को संसद की मंजूरी
सरकार के पेश मसौदा प्रस्ताव के समर्थन में 358 मत पड़े जबकि विरोध में 234 सांसदों ने मत दिए।
लंदन, प्रेट्र। नवगठित ब्रिटिश संसद ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की महत्वाकांक्षी ब्रेक्जिट (यूरोपीय यूनियन से अलगाव) योजना पर मुहर लगा दी। अलगाव की बाबत यूरोपीय यूनियन (ईयू) से ब्रिटेन के समझौते को हाउस ऑफ कॉमंस ने 124 मतों के बड़े अंतर से स्वीकार कर लिया। सरकार के पेश मसौदा प्रस्ताव के समर्थन में 358 मत पड़े जबकि विरोध में 234 सांसदों ने मत दिए। इसके साथ ही 31 जनवरी, 2020 को ईयू से ब्रिटेन के अलगाव का रास्ता साफ हो गया।
ब्रेक्जिट पर तीन बार विफल रहने पर टेरीजा को पीएम के पद से हाथ धोना पड़ा था
उल्लेखनीय है कि पूर्ववर्ती कंजरवेटिव सरकार बहुमत के अभाव में इस प्रस्ताव को संसद में पारित कराने में चार बार विफल रही थी। तीन बार विफल रहने पर टेरीजा मे को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था।
बहुमत न होने से ब्रेक्जिट पर संसद की मुहर नहीं लगवा सके थे जॉनसन
जॉनसन की पूर्व सरकार ने एड़ी-चोटी का जोर लगाकर ईयू के साथ अलगाव के लिए समझौता किया था लेकिन बहुमत न होने से वह उस पर संसद की मुहर नहीं लगवा सके थे। इसके चलते ब्रेक्जिट के लिए 31 अक्टूबर की तय समयसीमा टल गई थी। इसी के बाद जॉनसन ने मध्यावधि चुनाव कराने का फैसला किया।
ब्रेक्जिट का नारा देकर जनता ने जॉनसन की मांग पूरी की
ब्रेक्जिट का नारा देकर जनता से बहुमत मांगा। मतदाताओं ने भी जॉनसन की मांग पूरी की और 1987 के चुनाव के बाद कंजरवेटिव पार्टी को पहली बार इतनी सीटें मिलीं। जॉनसन ने भी देर न करते हुए शुक्रवार को संसद में ईयू से समझौते का प्रस्ताव रखकर मतदान करवा दिया। नतीजा उनके मनमाफिक रहा।
इससे बेहतर समझौता कर यूरोपीय यूनियन छोड़ा जा सकता था- कॉर्बिन
अब यह प्रस्ताव हाउस ऑफ लॉर्ड्स में जाएगा। विपक्षी लेबर पार्टी के नेता जेरेमी कॉर्बिन ने कहा है कि इससे बेहतर समझौता कर यूरोपीय यूनियन छोड़ा जा सकता था।