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जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र का तापमान रिकॉर्ड स्तर पर: अध्ययन

ग्लोबल वार्मिंग का असर आर्कटिक इलाके में साफ दिख रहा है। यहां ग्लोबल वार्मिंग का इतना असर है कि बर्फ की चट्टानें पिघलती जा रही हैं और यहां के तापमान में भी बढ़ोतरी हो रही है। समुद्र के तापमान बढ़ना बेहत खतरनाक है।

By Nitin AroraEdited By: Published: Sat, 03 Oct 2020 01:33 PM (IST)Updated: Sat, 03 Oct 2020 01:33 PM (IST)
जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र का तापमान रिकॉर्ड स्तर पर: अध्ययन
ग्लोबल वार्मिंग से समुद्री तापमान में अभूतपूर्व वृद्धि हो रही है।

लंदन, आइएएनएस। दुनिया के सामने कोरोना महामारी से पहले सबसे बड़ा मुद्दा जलवायु परिवर्तन का था और जल्द जैसे ही दुनिया को कोरोना वायरस पर जीत मिलेगी तो फिर एक बार जलवायु परिवर्तन को लेकर कार्य किया जाएगा। दुनिया के बड़े से बड़े संगठन जलवायु परिवर्तन को सबसे बड़ी परेशानी मानते हैं और इसपर काम करने हेतु गुहार लगाते हैं। वहीं, अब एक और अध्ययन सामने आया है, जिसमें शोधकर्ताओं ने पाया है कि भूमध्य सागर सहित ग्लोबल वार्मिंग से समुद्री तापमान में अभूतपूर्व वृद्धि हो रही है। यूरोपीय संघ के (ईयू) कोपर्निकस समुद्री पर्यावरण निगरानी सेवा (सीएमईएमएस) के आंकड़ों में जो बात सामने आई, उससे जलवायु परिवर्तन से दुनिया के समुद्रों और महासागरों को कितना खतरा बढ़ रहा है, इसका फिलहाल अंदाजा लगाना मुश्किल है।

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महासागर राज्य रिपोर्ट ने 1993 से 2018 तक साक्ष्य के आधार पर सतह के गर्म होने की एक समग्र प्रवृत्ति का खुलासा किया, जिसमें आर्कटिक महासागर में सबसे बड़ी वृद्धि थी। यूरोपियन एकेडमी ऑफ साइंस के करीना वॉन शुकमन और पियरे-यवेस ले ट्रौन ने कहा, 'महासागर में परिवर्तन ने इन (महासागर) पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं पर प्रभाव डाला है और उन्हें अनिश्चित सीमा तक बढ़ाया है।' शोधकर्ताओं के अनुसार, यूरोपीय समुद्रों ने 2018 में रिकॉर्ड उच्च तापमान का अनुभव किया।...और एक घटना जो शोधकर्ताओं ने मौसम की चरम स्थितियों के लिए खास बताई, वो यह कि एक समुद्री हीटवेव कई महीनों तक चलती है।

एक ताजा शोध बताता है कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण महासागरों की सतह पर हलचल कम हो गई है और वे स्थायी होने के साथ ही गर्म भी होने लगीं हैं। शोधकर्ताओं का अनुसार यह अच्छा संकेत नहीं हैं और इसके बेहद खतरनाक प्रभाव हो सकते हैं। बताया गया कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण महासागरों के तापमान में बढ़ोत्तरी हुई है। शोध में बताया गया है कि वैसे तो जलवायु परिवर्तन के कारण पूरे ग्रह का तापमान बढ़ा है, लेकिन इसका महासागरों पर अलग तरह से असर हुआ है। बताया जाता है कि महासागरों में तापमान इसलिए भी बढ़ता है कि, क्योंकि सतह के नीचे का तापमान जो कि ठंडा और ऑक्सीजन से भरपूर है, उसके ऊपर के पानी से मिलने की दर धीमी हो गई है।

बता दें कि ग्लोबल वार्मिंग का असर आर्कटिक इलाके में साफ दिख रहा है। यहां ग्लोबल वार्मिंग का इतना असर है कि बर्फ की चट्टानें पिघलती जा रही हैं और यहां के तापमान में भी बढ़ोतरी हो रही है। पहले जहां इस हिमालयी क्षेत्र में काफी ठंडक होती थी वहीं अब बारिश और बर्फ से खुला इलाका अधिक हो गया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग का सबसे अधिक असर यहां दिख रहा है जो काफी खतरनाक है। 

उन्होंने कहा कि आर्कटिक में समुद्री बर्फ में लगातार गिरावट आ रही है। यहां बेहद ठंडे साल में भी उतना बदलाव नहीं हुआ जितना अब देखने को मिल रहा है। रिसर्च करने वालों का कहना है कि इस क्षेत्र की जलवायु की दो अन्य विशेषताएं, मौसमी वायु तापमान और बर्फ के बजाय बारिश के दिनों की संख्या में बदलाव है। आर्कटिक दुनिया के उन हिस्सों में से एक है जो जलवायु परिवर्तन से सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं। तेजी से बढ़ते तापमान के साथ समुद्री बर्फ के सिकुड़ने के अलावा अन्य प्रभाव दिख रहा है।


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