अब 'स्मार्ट ई-वस्त्र' से होगा आपका मोबाइल चार्ज, जानें- क्या है इसकी खासियत
वैज्ञानिकों ने एक ऐसी तकनीक का इजाद किया है, जिससे आप अपने पहने हुए कपड़े से ही मोबाइल चार्ज कर सकते हैं।
ब्रिटेन [ एजेंसी ] । जरा कल्पना करें, आप सफर में हो और आपका मोबाइल डिसचार्ज हो जाए तो अापकी चिंता और बेचैनी कितनी बढ़ जाती है। फिर आप पूरे ट्रेन में चार्जर की तलाश में भटकते रहते हैं। लेकिन अब आपको चिंतित होने की जरूरत नहीं है। वैज्ञानिकों ने एक ऐसी तकनीक का इजाद किया है, जिससे आप अपने पहने हुए कपड़े से ही मोबाइल चार्ज कर सकते हैं। इतना ही नहीं इसमें प्रयुक्त तकनीक पर्यावरण के अनुकूल होगी।
वैज्ञानिकों ने स्मार्ट ई-वस्त्र का निर्माण किया
नॉटिंघम ट्रेंट विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एक ऐसे स्मार्ट ई-वस्त्र का निर्माण किया है, जो आपके लिए एक मोबाइल चार्जर का भी काम करेगा। ये स्मार्ट ई-वस्त्र जेब के अंदर चार्जिंग डाक की तरह काम करेगा। स्मार्ट ई-वस्त्रों की खासियत यह होगी कि इसमें प्लग सॉकेट का इस्तेमाल नहीं होगा। दरअसल, यह एक छोटा से पैनल होगा। ये पैनल तीन मिमी लंबा और 1.5 मिमी चौड़ा है। उनका आकार काफी सूक्ष्म होता है। इसके चलते वह बिना किसी दिक्कत के आसानी से आपकी पाकेट का हिस्सा बन जाता है। पैनल बिजली उत्पन्न करने का अत्याधुनिक और टिकाऊ तरीका है। इस अनुसंधान का नेतृत्व करने वाले प्रोफेसर तिलक डायस ने कहा कि यह पद्धति पर्यावरण के अनुकूल होगी। इससे कार्बन उत्सर्जन में भी भारी कटौती होगी।
स्मार्ट ई-वस्त्र कैसे करेगा काम
- इसकी फाइबर युक्त लघु कोशिकाओं का नेटवर्क बिजली उत्पन्न करने में कारगर होती हैं। इसके साथ वह इस ऊर्जा को मोबाइल चार्ज करने के अनुकूल बनाती है।
- ये लघू कोशिकाएं इतनी सूक्ष्म होती हैं कि इनको नग्न आंखों से नहीं देखा जा सकता है।
- पैनलयुक्त वस्त्रों को भी अन्य कपड़ों की तरह धोया जा सकता है। इससे पैनल क्षतिग्रस्त नहीं होगा।
- इसके साथ पैनल युक्त वस्त्र को इस तरह से निर्मित किया गया है कि इसके धारण में दिक्कत नहीं आए। प्रोफेसर डायस का कहना है कि कपड़े किसी भी अन्य कपड़े की तरह व्यवहार करेंगे, भले ही पैनल यार्न में एम्बेडेड हों।
- उन्होंने कहा कि एक मोबाइल फोन को चार्ज करने के लिए लगभग 2,000 पैनलों की जरूरत होती है, लेकिन इस अवधारण के विपरीत इसमें 200 पैनल ही हैं।
वायरलेस चार्जिंग की कहां से मिली प्रेरणा
वैज्ञानिकों की वायरलेस चार्जिंग की प्रेरणा क्रोएशियाई आविष्कारक निकोला टेस्ला की एक खोजे से मिली। पहली बार 19वीं शताब्दी में यह सुझाव दिया गया कि आप एक विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र के माध्यम से दो वस्तुओं के बीच शक्ति स्थानांतरित कर सकते हैं। इसके चार्जिंग पैड में चारो ओर कॉइल वाले तारों का एक पाश होता है। इसके चारों ओर एक चुंबकीय क्षेत्र का निर्माण होता है। यह एक प्रेरक का कार्य करता है। चार्जिंग पैड में एक बार चुंबक के चारों ओर कॉइल वाले तारों का एक पाश होता है, जिसे एक प्रेरक कहा जाता है। जब एक विद्युत प्रवाह को तार से तार के माध्यम से मुख्य से गुजरता है, तो यह चुंबक के चारों ओर एक विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र बनाता है। इसका उपयोग वोल्टेज को हस्तांतरित करने के लिए या स्मार्टफ़ोन चार्ज के लिए किया जा सकता है।