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बच्चों पर पड़ सकता है कोरोना का गहरा असर, ठीक होने के बाद भी सात महीने तक बने रह सकते हैं लक्षण

कोरोना वायरस (कोविड-19) का कहर थम नहीं रहा है। स्वास्थ्य के मोर्चे पर इससे चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं। अब एक नए अध्ययन का दावा है कि कोरोना की चपेट में आने वाले बच्चों पर भी इस वायरस का गहरा असर पड़ सकता है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sat, 04 Sep 2021 06:32 PM (IST)Updated: Sun, 05 Sep 2021 01:04 AM (IST)
बच्चों पर पड़ सकता है कोरोना का गहरा असर, ठीक होने के बाद भी सात महीने तक बने रह सकते हैं लक्षण
कोविड-19 की चपेट में आने वाले बच्चों पर भी कोरोना वायरस का गहरा असर पड़ सकता है।

लंदन, आइएएनएस। कोरोना वायरस (कोविड-19) का कहर थम नहीं रहा है। स्वास्थ्य के मोर्चे पर इससे चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं। संक्रमित होने वाले लोगों पर इस खतरनाक वायरस का गहरा प्रभाव पाया जा रहा है। उबरने के बाद भी कई पीडि़तों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से लंबे समय तक जूझना पड़ रहा है। अब एक नए अध्ययन का दावा है कि कोरोना की चपेट में आने वाले बच्चों पर भी इस वायरस का गहरा असर पड़ सकता है।

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कोरोना से उबरने के तीन महीने बाद भी हर सात बच्चों में से एक को इस वायरस संबंधी लक्षणों का सामना करना पड़ सकता है। ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी कालेज लंदन (यूसीएल) और पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड के शोधकर्ताओं ने बच्चों पर कोरोना के लंबे समय तक पड़ने वाले प्रभाव को लेकर यह अध्ययन किया है। अपने तरह के इस सबसे बड़े अध्ययन में इंग्लैंड में 11 से 17 वर्ष की उम्र के 3,065 बच्चों पर सर्वे किया गया।

ये बच्चे इस वर्ष जनवरी से मार्च के दौरान पीसीआर टेस्ट में पाजिटिव पाए गए थे। इस अवधि में निगेटिव पाए गए इसी उम्र के 3,739 बच्चों पर भी गौर किया। कोरोना टेस्ट के 15 हफ्ते बाद यह सर्वे किया गया। कोरोना पाजिटिव रहे बच्चों में से 14 फीसद में तीन या ज्यादा लक्षण पाए गए। जबकि सात फीसद में पांच या ज्यादा लक्षण मिले। अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता और यूसीएल के प्रोफेसर टेरेंस स्टीफेंसन ने कहा, 'बच्चों में सिरदर्द और थकान सबसे आम समस्या पाई गई है।'  

स्टीफेंसन ने बताया कि कोविड पाजिटिव और निगेटिव समूहों में लक्षणों के मामले में काफी अंतर पाया गया है। कोविड पाजिटिव पाए गए बच्चों में 15 सप्ताह बाद भी तीन या उससे ज्यादा लक्षणों वाले की संख्या दोगुनी थी। इसलिए जरूरी है कि डाक्टर कोविड के लक्षणों की संख्या के आधार पर लंबे समय तक उसके प्रभाव पर ध्यान दें। दोनों ग्रुपों के मानसिक स्वास्थ्य में तो कोई खास अंतर नहीं था, लेकिन पाजिटिव पाए गए 41 फीसद बच्चों में चिंता, उदासी या अप्रसन्नता देखी गई, जबकि निगेटिव पाए गए 39 फीसद बच्चों में ही ये लक्षण देखे गए।


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