Coronavirus: जोखिम वाले संक्रमितों की पहचान होगी आसान, विज्ञानियों ने ऑनलाइन टूल किया विकसित
कोरोना के बढ़ते संक्रमण के मद्देनजर विज्ञानियों ने एक ऑनलाइन टूल विकसित किया है। उनका दावा है कि इस उपकरण की मदद से अस्पतालों में भर्ती हुए मरीजों की देखभाल बेहतर तरीके से हो सकती है और मृत्यु के जोखिम को भी काफी हद तक कम किया जा सकता है।
लंदन, आइएएनएस। कोरोना वायरस (कोविड-19) के बढ़ते संक्रमण के मद्देनजर विज्ञानियों ने एक ऑनलाइन टूल (उपकरण) विकसित किया है, जो इस बात का निर्धारण कर सकता है कि मरीजों में संक्रमण का जोखिम किस स्तर तक पहुंच सकता है। विज्ञानियों का दावा है कि इस उपकरण की मदद से अस्पतालों में भर्ती हुए मरीजों की देखभाल बेहतर तरीके से हो सकती है और मृत्यु के जोखिम को भी काफी हद तक कम किया जा सकता है। इससे संबंधित के रिसर्च पेपर लैंसेट रेस्पिरेटरी मेडिसिन नामक जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन के प्रोफेसर और इस अध्ययन के सह-लेखक महदाद नौरसदेगी ने कहा, 'अस्पताल में भर्ती होने के दौरान 'एक्यूरेट रिस्क- स्ट्रैटिफिकेशन' यानी सटीक जोखिम स्तरीकरण डॉक्टरों को मरीजों की जरूरत के मुताबिक इलाज और नैदानिक निर्णय लेने में मदद कर सकता है।'
शोधकर्ताओं ने कहा कि इस उपकरण की मदद से रोगियों की उम्र, लिंग और शारीरिक माप जैसे ऑक्सीजन का स्तर आदि की जांच के साथ-साथ नियमित रूप से एकत्र किए गए 11 मापों का प्रयोगशाला में परीक्षण कर जोखिम के स्तर का निर्धारण किया जाता है। चिकित्सकीय भाषा इसे '4सी डिटेरिएशन स्कोर' के नाम से जाना जाता है। शोधकर्ताओं ने कहा कि वास्तव में यह उपकरण 4 सी मोर्टेलिटी स्कोर का ही एक उन्नत संस्करण है। इसके जरिये अस्पतालों में भर्ती होने के बाद मरीजों की मौत के जोखिम का अनुमान लगाया जाता है।
नौरसदेगी ने कहा, 'नए 4सी डिटेरिएशन स्कोर में 4सी मोर्टेलिटी स्कोर भी शामिल रहता है, जो चिकित्सकों को साक्ष्यों के आधार पर यह बताएगा कि किस मरीज को अतिरिक्त देखभाल की जरूरत है या कम जोखिम के बावजूद भी किस मरीज को अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता है।'
लॉजिस्टिक रिग्रेशन मॉडल का किया प्रयोग
इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने 74994 प्रतिभागियों को शामिल किया था, जिसमें 260 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित थे। शोधकर्ताओं ने की टीम ने इसके लिए एक बहुउपयोगी लॉजिस्टिक रिग्रेशन मॉडल का उपयोग किया (जहां एक परिणाम का अनुमान लगाने के लिए कई मापों का उपयोग किया जाता है)।
अभी और अध्ययन की है जरूरत
यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन से इस शोध के प्रथम लेखक ऋषि गुप्ता ने कहा, 'हमारे विश्लेषण से बहुत उत्साहजनक प्रमाण मिला है। 4सी डिटेरिएशन स्कोर का उपयोग पूरे इंग्लैंड के साथ-साथ स्कॉटलैंड और वेल्स में चिकित्सक कर सकते हैं।' शोधकर्ताओं ने कहा कि इस उपकरण का इस्तेमाल विश्व के अन्य देशों में भी किया जा सकता है लेकिन पहले इसके परिणामों की सटीकता की जांच जरूरी है। उन्होंने उम्मीद जताई है कि यह उपकरण अपने हर परीक्षण मे खरा उतरेगा और कोरोना मरीजों की उचित देखभाल सुनिश्चित करेगा।